दहेज प्रथा समाज का अभिशाप, दहेज प्रथा के कारण महिला उत्पीड़न, में हो रही बढ़ोतरी

 दहेज प्रथा समाज का अभिशाप, दहेज प्रथा के कारण महिला उत्पीड़न, में हो रही बढ़ोतरी 




बांदा  - आजकल दहेज प्रथा के कारण महिला उत्पीड़न, समाज की एक विभक्त समस्या बनी हुई है। दहेज प्रथा की इस समस्या के बारे में *श्रीमती बनमाला चौहान* समाजसेविका ने अपने विचार व्यक्त करते हुए समाज के लिए दहेज प्रथा की रीति पर अंकुश लगाए जाने में बल देते हुए मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अभिशाप बन कर एक सामाजिक समस्या को हल करने की मुहिम में जन जागरूकता के साथ समाज की इस गंदी रीत के प्रचलन पर भी राज्य सरकारों के द्वारा विशेष अनुच्छेद संवैधानिक बनाकर इस पर अंकुश लगाने का कार्य किया जा सकता है।

*सुरेंद्र कुमार मिश्रा एडवोकेट* ने भी दहेज प्रथा को समाज का अभिशाप कहते हुए इस वीभत्स दहेज प्रथा की समस्या से शोषण का शिकार हो रही महिलाओं के उत्पीड़न एवं तलाक के साथ हत्याओं का सिलसिला दिन-ब-दिन बढ़ते क्रम में नजर आ रहा है जिसे हम पूरी तरीके से अंकुश लगाने की अनिवार्यता पर बल देते हुए जन जागरूकता के साथ शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और इस मुहिम में समाज की इस गंदी दहेज प्रथा के प्रचलन को समाजसेवियों एवं धर्माचार्य के द्वारा इसमें सामाजिक मुहिम को साकार रूप दिया जाना अनिवार्य है इस दहेज प्रथा पर जागरूकता और शिक्षा इसके नियंत्रण का या समाप्ति का एक स्तंभ बन सकता है।

*डॉक्टर चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित* पूर्व प्रवक्ता हिंदी पंडित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय बांदा ने भी समाज की इस दहेज प्रथा को समाप्त करने की आवश्यकता पर वैदिक काल से उपहार के रूप में दिया जाने वाला सामान या धन आज अपना रूप / आवरण बदलकर दहेज के रूप में समाज ने स्वीकार करने की गलती की है,जो इतने लंबे समय से अब तक अनवरत समाज में इस वीभत्स रूप में स्वीकार किया जा चुका है।

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