बुंदेलखण्ड ही पुराना चेदि है राज्य

 बुंदेलखण्ड ही पुराना चेदि है राज्य 



 जनपद बांदा के ग्राम अदरी व बसधरी का पौराणिक इतिहास 



बांदा - जनपद की तहसील पैलानी के ग्राम अदरी व बसधरी का पौराणिक इतिहास का वर्णन बुंदेलखण्ड ही पुराना चेदि राज्य है, जो बु़द्ध-कालीन 16 महाजनपदों में शामिल था। चेदि राज्य में वर्तमान उत्तर प्रदेश के बुंदेलखण्ड के बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर, जालौन एवं मध्य प्रदेश के दतिया, दमोह, टीकमगढ, छतरपुर, सागर आदि जनपद सम्मलित है। यह भाग यमुना नदी के दक्षिण भाग में स्थित है। 

चेदि राज्य का प्रसिद्ध राजा उपरिचर वसु था, जो पुरूवंशी था। तत्समय राजा उपरिचर वसु मृग का शिकार करने हेतु भ्रमण करते हुए यमुना तट पर पहुॅच गये और उनकी भेंट रूपवती दिव्यांगना सुंदरी अद्रिका से हुई। राजा उपरिचर वसु संुदरी अद्रिका के रूप सौंदर्य पर मुग्ध होकर आकर्षित हुए। राजा उपरिचर वसु व अद्रिका में प्रेम हो गया। राजा उपरिचर वसु व सुंदरी अद्रिका के समागम से युग्म संतानों का जन्म हुआ जिनमें से एक बालक व एक बालिका थी। बालक बाद में राजा मत्स्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसके द्वारा शासित राज्य मत्स्य देश कहा गया। दूसरी संतान का नाम सत्यवती था जिसका पालन-पोषण निषाद शिरोमणी दाशराज ने किया। सत्यवती का अन्य नाम दाशेयी, काली, मत्स्यगंधा और योजनगंधा भी था। यह यमुना तट वासी अपने पालक पिता दासराज के साथ नौका चालन में उनकी सहायता करती थी। एक समय महामुनि पराशर तीर्थ यात्रा करते हुए यमुना तट पर आये। मुनि पराशर यमुना नदी को पार करने हेतु सत्यवती द्वारा चलित नौका में सवार हुए तथा सत्यवती के रूप सौंदर्य से आकर्षित हो कर उससे अपना प्रणय निवेदन करते हैं। उन दोनो में प्यार होता है और मत्स्यगंधा सत्यवती व मुनिवर पराशर के समागम से कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास का जन्म होता है। यमुना के द्वीप में जन्म लेने और शरीर कृष्ण-वर्णी होने के कारण उनका नाम कृष्ण-द्वैपायन पडा जिन्हें बाद में वेदव्यास अथवा व्यास कहा गया।

वेदव्यास को साहित्यिक व पौराणिक ग्रंथो में वासवीसुत और वासवेय कहा गया। राजकुमारी सत्यवती ही वासवीय है और सत्यवती की माता का नाम अद्रिका है, जो इस समय अदरी नाम के गांव से पहचाना जाता है। सत्यवती की माता अद्रिका शब्द से ही नामांतरित अदरी नाम का एक गांव उपनगर चिल्ला जनपद बांदा के निकट यमुना द्वीप में स्थित है। अदरी ग्राम के समीप ही बसधरी ग्राम है। बसधरी ग्राम में शिविर वारादरी का निर्माण चेदि नरेश राजा उपरिचर वसु द्वारा कराया गया था। इसका पुराना नाम बसुधरी था। यहॉ राजा अपने यात्रा काल के समय अद्रिका के साथ निवास करते थे। यह भू-राजस्व ग्राम आज भी है।

बांदा जनपद में यमुना तट पर स्थित अदरी (अद्रिका) व बसधरी (बसुधरी) ये दोनो गांव सत्यवती की माता अद्रिका व पिता राजा उपरिचर वसु की प्राचीन प्रेम गाथा के प्रतीक हैं। निषाद दाशराज यही यमुना तट पर द्वीप के निकट रहा करते थे। यही पर वह अद्रिका और राजा उपरिचर वसु के सम्पर्क में आये थे। अद्रिका के निधन के बाद राजा उपरिचर वसु की औरस पुत्री सत्यवती का पालन पोषण निषाद दाशराज को सौंपा। यमुना का यह वही तट है, जहां पर सत्यवती व महामुनि पराशर का मिलन हुआ जिनके समागम से कृष्ण द्वैयापन/वेदव्यास का जन्म हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि वर्तमान ग्राम अदरी पूर्व अद्रिका और ग्राम बसधरी पूर्वनाम बसुधरी कृष्ण द्वैयापन फिर वेदव्यास की माता सत्यवती और नानी अद्रिका के कारण इन ग्रामों का नाम अदरी व बसधरी है। सत्यवती विवाह के पूर्व महामुनि पराशर से गर्भवती हुई तथा लोक-लाज, लोकनिंदा के भय से अपने पुत्र वेदव्यास/कृष्ण द्वैयापन को यमुना द्वीप में स्थित अद्रिका वन में अपनी मॉ के पास छोड दिया। बाद में सत्यवती का विवाह राजा शान्तनु से हुआ तथा सत्यवती व शान्तनु से भीष्म पैदा हुए। चिल्ला में ही यमुना व केन नदी का समागम होता है। शुक्तमती नदी ही अपभ्रंश होकर कर्णवती/केन नदी हुई। चूॅकि पूर्व में शुक्तमती नदी में पर्याप्त मात्रा में सीपियॉ पाई जाती थी और आज भी सीपियों की उपलब्धता है इसलिए इस नदी को शुक्तिमती नदी कहा गया। शुक्तिमती नदी के तट पर अवस्थित चेदि राज्य की राजधानी शुक्तिमती का नाम अपभ्रंश होकर सेंहुडा और अब स्यौढ़ा तहसील नरैनी जनपद बांदा में है। सम्राट उपरिचर वसु व अद्रिका के समागम से उत्पन्न संतान सत्यवती एवं सत्यवती व मुनि पराशर के समागम से उत्पन्न संतान कृष्ण द्वैयापन (वेदव्यास) की जन्मभूमि ग्राम अदरी है तथा सम्राट उपरिचर वसु व सुंदरी अद्रिका के मधुर मिलन का स्थान बसधरी है जिसका पुराना नाम बसुधरी था।

बसधरी ग्राम के निवासियों द्वारा बताया गया कि सन् 1839 में राजा हिम्मत (गोंसाईगिरी) की धरोहर तहसील रही थी। यह धरोहर चेदि राज्य के शासक राजा उपरिचर वसु व संुदरी अद्रिका के मिलन का साक्षी शिविर है। यहॉ पर एक प्यारेलाल जूनियर हॉईस्कूल है। वर्तमान में पूर्व माध्यमिक विद्यालय का भवन जीर्ण-शीर्ण है तथा लगभग 06़ वर्ष से बंद है। न कोई छात्र है और न कोई अध्यापक है। 

बसधरी गांव से लगभग 01 किलोमीटर पश्चिम की ओर यमुना के तट पर मच्छोदरी घाट है जो सम्भवतः सत्यवती (मत्स्यगंधा-योजनगंधा) के नाम से बनाया गया था। वह इस समय यमुना नदी के धारा में समाहित है। यही पर श्री रामऔतार सिंह पुत्र चंदन सिंह निवासी बसधरी द्वारा 02 बीघा जमीन मच्छोदरी घाट/पार्क के लिए दान देनी की बात कही गयी है तथा इन्द्रजीत सिंह पुत्र महादेव सिंह एवं  हरीबाबू सिंह द्वारा 04 बीघा भूमि दान देने की बात मेरे समक्ष की गयी। यह स्थल चिल्ला से लगभग 05 किलोमीटर तथा शहर बांदा से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है। ग्राम बसधरी (बसुधरी) तथा अदरी (अद्रिका) जो यमुना नदी के किनारे बसे हुए है तथा चेदि राजा उपरिचर वसु व उनकी प्रेमिका अद्रिका एवं अद्रिका की पुत्री सत्यवती (मत्स्यगंधा, योजनगंधा, दाशेयी) एवं महामुनि पराशर के मधुर मिलन व उनके समागम से पैदा हुई जुडवा संताने मत्स्य व कन्या सत्यवती के स्मृति स्थल एंव वेदव्यास के जन्म स्थान के प्रतीक है। 

उपुर्यक्त पौराणिक तथ्यों एवं यमुना के तट पर बसे अदरी व बसुधरी गावों की भौगोलिक स्थिति को दृष्टिगत ग्राम अदरी (अद्रिका) एवं बसधरी (बसुधरी) को विलेज टूरिज्म, इॅको टूरिज्म एवं पौराणिक टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा सकता है जिससे न केवल ग्राम बसधरी व ग्राम अदरी का विकास होगा अपितु वहां पर पर्यटन का विकास होने से गांव के लोगो को रोजगार भी मिलेगा। इससे केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि उनके जीवन स्तर व रहन-सहन में सुधार होगा। बसधरी व अदरी को पौराणिक, इको एवं विलेज टूरिज्म के रूप में विकसित करने हेतु प्रस्ताव शासन को भेजा जायेगा।

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