मिस्कीन शाह वारसी के उर्स में पहले दिन उठा चादर जुलूस
बांदा-हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतीक माने जाने वाले हजरत मिस्कीन शाह वारसी रह0 का 104 वाँ सालाना तीन दिवसीय उर्स मंगलवार की सुबह ग़ुस्ल की रस्म के साथ शुरू हो गया ।
नरैनी रोड स्थित मिस्कीन शाह रह0 की दरगाह में तीन दिवसीय उर्स का आयोजन किया गया ।
आपको बता दें कि बांदा की इस दरगाह के उर्स में हिन्दू मुस्लिम दोनो ही धर्म के मानने वाले बड़ी संख्या में शामिल होते हैं इस उर्स में हिंदुस्तान के कई प्रदेशों से लोग यहां आते है कई ऐसे भारतीय परिवार हैं जो दूसरे मुल्कों में रहते हैं पर वो भी हर साल इस उर्स मे शामिल होने आते हैं ।
उर्स के पहले दिन मंगलवार की सुबह फजिर की नमाज़ के बाद दरगाह में रस्मे ग़ुस्ल व रस्मे संदल अदा की गई उसके बाद चादर पोशी और ख़ानकाही कव्वालियां हुईं कव्वालियों के बाद मुल्क में अमनो अमान के लिए दुआ मांगी गई ।
दोपहर में बाबूलाल चौराहा स्थित सगगन मास्टर के आवास में कव्वालियों की महफ़िल सजी जिसमे वकील साबरी बांदा, दिलबर ताज बांदा, वकील ताज जहांगीरी बेलाताल,अब्दुल हफ़ीज़ सैय्यद सरावां, सहजादे बांदा,आदि ने कलाम सुनाए, कव्वालियों के बाद चादर जुलूस उठाया गया जो गूलर नाका स्थित दरगाह के मुतवल्ली निज़ामुद्दीन फारूकी के आवास पहुंचा यहाँ भी ख़ानकाही कव्वालियों की महफ़िल सजी इसके बाद ये चादर जुलूस अपने निर्धारित रास्तों से होता हुआ नरैनी रोड स्थित मिस्कीन शाह वारसी की दरगाह पहुंचा जहां चादर चढ़ाई गई ।