वट सावित्री अमावस्या पर सुहागिन महिलाओं ने व्रत कर वटवृक्ष की पूजा कर पति के दीर्घायु की कामना की
गिरिराज शुक्ला
बिंदकी फतेहपुर।विकास खंड देवमई क्षेत्र के गांवों में आज सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना कर पति की लंबी उम्र और सुख शांति की कामना की,साथ ही नव विवाहिताओ में वट सावित्री पूजा को लेकर खासा उत्साह दिखाई दिया। सुबह से ही बरगद के पेड़ पर महिलाओं का तांता लगा रहा। पूजा के दौरान वट वृक्ष को मौसमी फल अर्पित करने व कच्चे सूत से बांधने के बाद महिलाओं ने आस्था के साथ इसकी परिक्रमा की। पूजा के बाद वट सावित्री कथा भी सुनी।
हर वर्ष की तरह आज जेष्ठ मास की अमावस्या के दिन पडने वाले वट सावित्री व्रत पर्व में सुहागिन महिलाओं ने पूजा की थाली सजाकर वट वृक्ष की बारह बार परिक्रमा की और फल फूल चढाकर परिवार की सुख समृद्घि और पति की लंबी आयु की कामना किया। हिन्दू धर्म मे इस व्रत का विशेष महत्व है जहां सुहागिन महिलाएं सुबह से ही बरगद पेड़ के नीचे पहुंचती है और पूजा-अर्चना करती हैं। यह व्रत रखने वाली महिलाओं के अनुसार इस व्रत को सबसे पहले सावित्री ने अपने पति सत्यवान की प्राण को यमराज से वापस मागकर लाई थीं। तब से इस व्रत को सुहागिन करती चली आ रही है। कहते हैं कि वट सावित्री पूजन करना बेहद फलदायक होता है। इस दिन महिलाएं सुबह से स्नान कर सुहाग से जुडा हर श्रृंगार करती हैं। और तब तक पानी नहीं पीती हैं जब तक वह पूजा नहीं कर लेती हैं। वट सवित्री के दिन महिलाएं त्यौहार की तरह अपने अपने घरों में भोजन के साथ पकवान भी बनाती हैं। वट वृक्ष पूजन में साल भर में जो 12 महिने होते है। उसके अनुसार सभी वस्तुएं भी 12 ही चढाई जाती हैं। कच्चे धागे का जनेऊ बनाकर उसको अपने गले में धारण करती है।