बसपा के मुस्लिम कार्ड से भाजपा की राह होगी आसान

 बसपा के मुस्लिम कार्ड से भाजपा की राह होगी आसान



ध्रुवीकरण व मोदी-योगी के सुशासन के सहारे भाजपा


ओबीसी को एकजुट रखना सपा के लिये चुनोती


हाजी रज़ा पर प्रशासनिक कार्रवाई से सपा को सहानुभूति का लाभ


फ़तेहपुर। नगर निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिये सभी दल एड़ी-चोटी का बल लगाये हुए है। केंद्र व प्रदेश मे सत्तारूढ़ दल भाजपा से जहां ब्राह्मण प्रत्याशी प्रमोद द्विवेदी को जीत दिलाने के लिये प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री व जनपद से सांसद रहे राकेश सचान, केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति समेत सत्ताधारी दल के तीन व सहयोगी दल के एक विधायक समेत संघ एवं भाजपा के जनपद के सभी बड़े-छोटे नेता जी-जान से प्रचार में लगे हैं। पार्टी प्रत्याशी जीत के लिये स्वजातीय मतदाताओं को साधने में लगे हुए है। वही बागियों को साधने के लिये संघ के बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है जो बागियों से मिलकर किसी भी हाल में गिले-शिकवे भूला कर उनकी बगावत को खत्म करने में लगे हैं। वही कईयों पर निष्काषन की कार्रवाई कर भाजपा ने सख्त तेवर भी दिखाये है।

समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार मौर्या के समर्थन में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुके है। सपा प्रत्याशी राजकुमार मौर्या पार्टी एव निवर्तमान अध्यक्ष नज़ाकत खातून के कराये गये बिकास कार्यो के दम पर जनता से समर्थन मांग रहे है। साथ ही अध्यक्ष प्रतिनिधि हाजी रज़ा पर की गई कार्रवाई को अनुचित व सत्ता के दबाव में आकर उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने वाला कदम बताकर सहानुभूति हासिल करने की जुगत में है।  

बसपा से मो आसिफ़ एडवोकेट हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी समर्थित प्रत्याशी सुरेश तिवारी चुनाव मैदान में है। ज्यो-ज्यो मतदान की तिथि नज़दीक आ रही है सदर नगर पालिका का चुनावी समीकरण जबरदस्त बदलता दिखाई दे रहा है। अभी तक धुंधली  रही तस्वीर काफी हद तक साफ दिखाई देने लगी है। सत्तारूढ़ दल भाजपा प्रत्याशी प्रमोद द्विवेदी के पक्ष में लगे जिम्मेदार जहां सपा समेत अन्य दलों के नेता बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करा रहे है। वही भाजपा के लिये उसके बागी भी चुनौती बने  है। सदर नगर पालिका क्षेत्र के अनेक वार्डो मे अभी तक भाजपा का झंडा लगाकर घूमने वाले कार्यकर्ता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के सामने निर्दल रूप से ताल ठोंक रहे है जो सत्ताधारी दल की राह मुश्किल करने जैसा ही है। भारतीय जनता पार्टी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एव मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ के चेहरे के साथ केन्द्र व प्रदेश सरकार की उपलब्धियों के दम पर जीत हासिल करने के अलावा मतों के ध्रुवीकरण का खेल, खेल रहे  हैं। वही बहुजन समाज पार्टी  से मो आसिफ़ को उतारकर चुनाव में जबरदस्त तरीके से मुस्लिम कार्ड खेल गया है। बसपा की नज़र दलित वोट बैंक के अलावा सदर क्षेत्र में बड़े मुस्लिम वोट बैंक में है। दलित मुस्लिम फैक्टर के सहारे बसपा एक बार फिर से 2000 वाली स्थितियां बनाकर सदर नगर पालिका के अध्यक्ष की कुर्सी हथियाना चाह रही है। वर्ष 2000 में बहुजन समाज पार्टी की ओर से शब्बीर खान ने जीत हासिल की थी। बहुजन समाज पार्टी के सामने दूसरी बार अध्यक्षी हासिल करके इतिहास बनाने की चुनौती है तो सपा के गढ़ में सेंध लगा कर मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में लाना उससे भी बड़ी चुनोती है।

राजनीति के जानकारों की माने तो जिस मुस्लिम वोटरों के सहारे बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम कार्ड खेला है। उससे मुस्लिम समाज के बसपा प्रत्याशी के साथ आने से वोटों का जमकर धुर्वीकरण हो सकता है, जिसका लाभ बसपा को तो मामूली रूप से मिल सकता है, जबकि परोक्ष रूप से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में हो सकता है। इन सबके बीच भी एक पेंच है मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण की वजह से बसपा को मिलने वाला सर्वसमाज के पारंपरिक वोटर का भी ध्रुवीकरण होना तय है, जिसका फायदा निश्चित रूप से सत्ताधारी दल के वोटों में इज़ाफ़ा होकर मिल सकता है। 

सपा प्रत्याशी जहां एम वाई समीकरण के अलावा ओबीसी, वोटबैंक को प्लस मानने के साथ ही चेयरपर्सन नज़ाकत खातून के शहरी क्षेत्र में कराये गये विकास कार्यों के साथ अपनी दावेदारी मज़बूत मानी जा रही है,  जबकि चेयर पर्सन के पुत्र व सपा नेता हाजी रज़ा पर की गई प्रशासनिक कार्रवाई को उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के  की कार्रवाई बताकर सहानुभति हासिल कर सकता है। नगर पालिका परिषद मे अध्यक्ष का ताज किसके सर सजेगा यह तो 4 मई मे मतदान के बाद 13 मई को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। चुनाव परिणाम आने तक कयासों के लगाये जाने का सिलसिला जारी है।

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