शिशु के लिए कूलर व एसी का संभलकर करें इस्तेमा

 शिशु के लिए कूलर व एसी का संभलकर करें इस्तेमाल


जिला अस्पताल में कफ जमने की समस्या से परेशान बच्चे हो रहे भर्ती


फतेहपुर। स्वास्थ्य विभाग की ओर से शिशु मृत्यु दर कम करने को लेकर हर स्तर से कवायद की जा रह है। इसके तहत इस भीषण गर्मी मे शिशुओं को सुरक्षित रखने के लिये लोगों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। इन दिनो पड रही तेज


गर्मी बच्चों के लिये ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। गर्मी में शिशु को लोग कूलर या एसी में लगातार रखते हैं। यह उसके लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। गर्मी-सर्दी से ऐसे बच्चों के सीने में कफ जमने की समस्या हो सकती है। इससे बुखार आने लगता है। शिशु की पहली गर्मी है तो उसकी देखभाल में ज्यादा सावधानी की जरूरत होती है। उनको लू लगने, घमौरियों और अन्य त्वचा रोगों से बचाना बचाना चाहिए।

जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग में प्रतिदिन निमोनिया, डायरिया, पीलिया व आंखों में संक्रमण की समस्या से ग्रसित बच्चे इलाज के लिये आ रहे हैं। वहीं जिला अस्पताल में 24 बच्चों का इलाज भी चल रहा है। मसवानी के रहने वाले दिनेश कुमार ने बताया कि उनका बच्चा अभी छह महीने का है। डायरिया हो गया था डाक्टर ने भर्ती कर इलाज शुरू किया अब ठीक है। इसी प्रकार भिटौरा निवासी मोहम्मद आमिर ने बताया कि बच्चे को दो दिन से बुखार आ रहा है। जिला अस्पताल लेकर आये तो चिकित्सक ने जांच कराया और अब भर्ती कर इलाज शुरू किया।

जिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.मूलचन्द्र ने

बताया कि गर्मी में शिशुओं बुखार, पीलिया, डायरिया तथा आंखों में संक्रमण की आशंका रहती है। कोशिश हो कि शिशु को कम से कम लोग स्पर्श करें। उसे छूने से पहले हाथ धुल लें। रोजाना स्नान कराने के बाद कपड़े बदलें। धूप में लेकर न जाएं। महिला चिकित्सालय में अप्रैल से अब तक 146 शिशुओं का इलाज किया गया है। वर्ष 2021 में अप्रैल से जुलाई तक कुल 187 और वर्ष 2022 के अप्रैल से जुलाई तक में 212 शिशुओं का इलाज किया गया था।


बरतें सावधानियां ---


गर्मी शरीर में डिहाइड्रेशन पैदा कर देता है। नवजात शिशु सिर्फ

मां का दूध पीते हैं और उन्हे इससे पोषण और हाइड्रेशन मिलता है। शिशु को हाइड्रेट रखने के लिये उसे थोडी थोडी देर में दूध पिलाना चाहिये। पसीना आने से बच्चे के शरीर से फलूडस

निकल जाते है। इसलिये स्तन पान से शिशु को हाइड्रेट रखें।

शिशु को छह तक मां का ही दूध पिलायें। छह माह से उपर के

बच्चों को तरल पदार्थ खिचडी, दाल, दलिया, मौसमी फल, दूध

से बने पूरक आहार दे सकते हैं।

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