सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ठग/गैंगस्टर शैलेन्द्र सिंह उर्फ़ राजू यादव प्रकरण

 सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ठग/गैंगस्टर शैलेन्द्र सिंह उर्फ़ राजू यादव प्रकरण



मानव तस्करी मामले के वादी अमित शुक्ला ने दाख़िल की याचिका


ज़मानत ख़ारिज करने, अकूत संपत्ति की जांच, परिवार की सुरक्षा आदि की फरियाद


20 जुलाई को डायरी नं. 28660/2023 में हुआ सूची बद्ध, जल्द सुनवाई की संभावना

 

फतेहपुर। हाईप्रोफाइल ठग एवं गैंगस्टर शैलेन्द्र सिंह उर्फ़ राजू यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उसका एक चर्चित मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया है। मानव तस्करी समेत विभिन्न धाराओं वाले मुकदमें में उच्च न्यायालय से मिली ज़मानत और उसकी अकूत संपत्ति की जॉच आदि से सम्बन्धित याचिका सम्बन्धित मुकदमें के वादी शहर के चित्रांश नगर निवासी अमित शुक्ला ने डाली है। याचिका सर्वोच्च न्यायालय में (डायरी नं. 28660/2023) विगत 20 जुलाई को सूची बद्ध हुईं है, जिसमें जल्द सुनवाई की संभावना है।

आरोप है कि पूर्व में शैलेंद्र सिंह ने अपने मर्चेंट नेवी इंजीनियर भाई के साथ मिलकर एक गैंग बनाया और तमाम बेरोजगारों को विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी की। पीड़ित अमित शुक्ला द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में डाली गई अर्जी में शैलेंद्र सिंह आदि पर उसके पिता से लाखों रूपए ऐठ कर उसे विदेश तो भेजवा दिया किन्तु उसको दिए गए वीजा में तगड़ा खेल होने से महीनो उसका जीवन खतरे में पड़ा रहा, बमुश्किल बच कर भारत लौटा। अमित शुक्ला ने उपरोक्त गैंग पर दर्जनों बेरोजगारों को ठगने और इसी पैसे से अकूत सम्पत्ति जुटाने का भी आरोप लगाया है।

वादी द्वारा उच्चतम न्यायालय में डाली गई याचिका में शैलेन्द्र सिंह को उच्च न्यायालय द्वारा दी गई ज़मानत को रद्द करने। निश्चित समय सीमा में केश की सुनवाई पूरी कराने, उसकी एवं उसके गैंग के सदस्यों द्धारा जुटाई गई अकूत सम्पत्ति को आर्थिक अपराध की श्रेणी में रखते हुए किसी बड़ी एजेंसी से जांच कराने और स्वयं तथा अपने परिवार के सदस्यों को सुरक्षा व्यवस्था मुहैय्या करवाने आदि की गुज़ारिश की है।

 बताते चलें कि इस अति चर्चित प्रकरण की मौजूदा समय में स्थानीय ज़िला कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पुलिस ने चार्ज शीट भी दाख़िल कर दी है जिस पर उच्चतम न्यायालय एक निश्चित समय सीमा में सुनवाई पूर्ण करने का आदेश भी दे सकता है।

क्योंकि शैलेंद्र सिंह यादव आदि पर गैंगेस्टर ऐक्ट के तहत् की कार्यवाही भी हो चुकी है, ऐसे में यह संभावना बलवती है कि सुप्रीम कोर्ट वादी के अनुरोध पर आरोपी द्वारा पिछले कुछ वर्षों में अर्जित की गई अकूत संपत्ति की जांच किसी बड़ी एजेंसी से करवाने का आदेश भी दे सकता है!

गौरतलब है कि इस पूरे प्रकरण में लगभग तीन वर्षों के दरमियान सत्ता के कुछ उच्च पदस्थ नेताओं और पुलिस के उच्चाधिकारियों की भूमिका न सिर्फ़ संदिग्ध रहीं बल्कि वादी व उसके परिजनों को मानसिक रूप से घेराबंदी करते हुए सुलह का दबाव व आर्थिक प्रलोभन, न मानने पर अपराधिक फर्जी मुकदमा दर्ज़ कराया जाना बड़े खेल का हिस्सा रहा हैं..!

सर्वोच्च न्यायालय में मामला पहुंच जानें के बाद जहां आरोपी पक्ष में हड़कंप मच गया है, वहीं दर्जनों पीड़ितो को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। बड़ी बात है कि लगभग दो दशक बाद किसी अपराधिक मामले में किसी वादी ने न्याय की आस में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है...! सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक चर्चित वरिष्ठ महिला अधिवक्ता के खड़े होने की ख़बर है...!

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