पदोन्नति न होने से जूनियर हाई स्कूल में शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली

 पदोन्नति न होने से जूनियर हाई स्कूल में शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली



जूनियर हाई स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या, विद्यार्थी छोड़ रहे पढ़ाई 


महराजगंज।पिछले सात साल से प्रमोशन नहीं होने के कारण प्रदेश के अधिकांश उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े है। नतीजा करीब 23 हजार  जूनियर हाई स्कूल काम चलाऊ व्यवस्था के तहत शिक्षण हो रहा है। अधिकांश स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। आलम यह है कि वर्ष 2016 के बाद से प्रदेश के जूनियर हाई स्कूलों में कोई प्रमोशन ही नहीं हुए हैं।


कई जिले तो ऐसे हैं जहां दस साल से भी अधिक समय बीत चुके हैं लेकिन प्रमोशन नहीं हुए। विभाग की ओर से इस संबंध में प्रमोशन की नई पॉलिसी तैयार की गई है। लेकिन पिछले साल से ही प्रमोशन के नाम पर शिक्षकों को निरंतर लालीपाप दिया जा रहा है। जिससे शिक्षकों का मनोबल गिर रहा है। 


गौरतलब हो कि प्रदेश में करीब 46000 अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें से आधे से ज्यादा स्कूलों में आरटीई अधिनियम के अनुसार पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में कामचलाऊ व्यवस्था के तहत जूनियर हाई स्कूलों का संचालन जुगाड़ से हो रहा है। जिसे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और पर्याप्त विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति न होने से छात्र संख्या निरंतर घट रही है। 


जानकारों की माने तो महराजगंज जनपद में अपर प्राइमरी स्कूलों में 2015 के बाद से प्रमोशन नहीं हुए। इसकी वजह यह बताई जा रही है की वरिष्ठता विवाद में कुछ शिक्षक कोर्ट गए थे। तब से शिक्षा विभाग उस विवाद का निपटारा कर कोई ठोस नीति नहीं बना पाया है।


शिक्षकों का रिटायरमेन्ट हर साल तो प्रमोशन क्यों नहीं ? 


-प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी में समय-समय पर हुई शिक्षकों की नई भर्तियों के साथ-साथ शिक्षामित्रों के समायोजना से प्राथमिक स्कूलों को नए अध्यापक तो मिल गए लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रमोशन न होने से जो शिक्षक रिटायर हुए उनकी जगह भरी ही नही गई ।


 यह है प्रमोशन का नया प्रावधान 


परिषदीय स्कूलों में पहली भर्ती प्राइमरी के शिक्षक पद पर होती है, उसके बाद दो स्तर पर प्रमोशन होते हैं।


-बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक अध्यापक की भर्ती होती है और प्राइमरी स्कूलों में तैनाती मिलती है।


-पहला प्रमोशन प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक या अपर प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर होता है।


-उसके बाद प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक और अपर प्राइमरी स्कूल के अध्यापक का प्रमोशन अपर प्राइमरी के प्रधानाध्यापक के पद पर होता है।


पर्याप्त शिक्षक होने से स्कूलों का होता तेजी से विकास


उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष संजय मणि त्रिपाठी का कहना है कि शिक्षकों का समय से प्रमोशन होने से उनका मनोबल बढ़ता है और वह उत्साह, लगन और आत्मविश्वास के साथ विद्यालय में पठन - पाठन में लगे रहते है। मानक के अनुरूप शिक्षकों की संख्या कम होने से विद्यालय को सफलतापूर्वक संचालन में कई दिक्कतें आती है। सरकार से मांग है कि समस्याओं  का निपटारा कर जल्द प्रमोशन कराए जाएं। यदि मामला कोर्ट में है तो विभाग को पैरवी करनी चाहिए प्रमोशन न होने से उसका प्रभाव विद्यालय में शिक्षा और अन्य कामकाज पर भी पड़ता है इस पर जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए।

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