शिवविवाह की कथा सुन श्रोता भावविभोर हो झूमे
दुर्गामंदिर आश्रम मे उमड़ रही श्रद्धालुओ की भीड़
फतेहपुर।मलवा विकास खंड के दुर्गानगर दुर्गा मन्दिर शिवराजपुर मे चल रहे धार्मिक अनुष्ठान श्री शतचंडी महायज्ञ एवं नवदिवसीय संगीतमयी श्री रामकथा में शनिवार को द्वितीय दिवस कथा आचार्य पंडित यदुनाथ अवस्थी ने शिव विवाह, नारद मोह के साथ श्री राम जन्म के प्रसंग सुनाएँ तोसमूचे नर नारी झूम उठे।जहां शिव विवाह में पुरुष बराती बने वहीं महिलाओं ने मां पार्वती के परिजन बनकर नाच गाकर समूचे कथा मंडल को भावविभोर कर दिया।
रामकथा में बोलते हुए आचार्य यदुनाथ अवस्थी ने मौजूद भक्तजनों को बताया कि पूर्व जन्म में महाराजा दक्ष की पुत्री के रूप में पार्वती ने जब यज्ञ में अपना शरीर समाप्त किया था तो वह अगले जन्म में हिमाचल राजा के घर पर पुत्री रूप में जन्म लेती है।किशोरावस्था में जब नारद जी राजा हिमालय के महल पहुंचते है तो राजा हिमाचल अपनी बेटी का हाथ दिखाते है तब नारदजी बताते हैं कि उनका विवाह भगवान शिव से ही होगा। इस पर पार्वती भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने बैठ जाती है।भगवान प्रसन्न होकर उनके वरण करने लिए बरात लेकर राजा हिमाचल के महल पहुंच जाते है।संगीतमयी कथा में भाव विभोर होकर भक्तजनों ने नाच गाकर शिव विवाह का आंनद उठाया।कथा व्यास पंडित यदुनाथ अवस्थी ने कहा कि कैलाश पर्वत पर शिवजी की बरात को लेकर सभी देव अपनी-अपनी पत्नियों के साथ विराजमान हैं।वहीं देवों की पत्नियां शिव को दूल्हा रूप को देखकर कहती हैं देखि सिवहि सुरत्रिय मुसुकाहीं,वर लायक दुलहिनि जग नाहीं...वहीं कैलाश पर्वत पर सजी शिव बरात में भूत-प्रेत पिशाच संग शिव के अद्धभुत रूप का वर्णन करते हुए कथा व्यास बताते हैं जस दूल्हा तसि बनी बराता,कौतुक विविधि होहि मग जाता...जैसा दूल्हा है, अब वैसी ही बरात बन गई है।रास्ते में चलते हुए भांति-भांति के तमाशे होते जाते हैं।जब शिव की बरात हिमाचल नगरी पहुंचती है तो वहां के लोग शिव के अद्धभुत रूप संग विचित्र बरातियों को देखकर डर जाते हैं।व्यास जी कहते हैं शिव समाज जब देखन लागे,बिडरि चले वाहन सब भागे...कथा सुन श्रोता भाविविभोर हो गए।आश्रम के संत स्वामी सत्यानंद महाराज के दर्शन को क्षेत्र के विभिन्न गावो से लोगो का ताता लगा रहा।आचार्य पंकज तिवारी एवं आचार्य राजन अवस्थी ने यज्ञ कार्य मे सह आचार्यो संग लगे रहे।