मुसाफा में नारद मोह लीला का हुआ मंचन,महारास देख श्रोता हए मंत्र मुग्ध

 मुसाफा में नारद मोह लीला का हुआ मंचन,महारास देख श्रोता हए मंत्र मुग्ध



यज्ञ में निरन्तर प्रति दिन हो रहा प्रसादी भंडारा


बिदकी फ्तेहपुर। बकेवर थाना व विकास खण्ड देवमई के मुसाफा ग्राम में 41वें वर्ष हो रही विशाल रुद्र महायज्ञ एवं रासलीला भव्य आयोजन हो रहा है। यज्ञ में प्रतिदिन प्रसादी भंडारा चल रहा है। दूर दराज से लोगों को प्रसादी खिला छकाया जा रहा है। 11 मार्च को सामूहिक रूप से बटुकों का यगोपवीत संस्कार  व विशाल भंडारा का आयोजन होगा । स्वयंभू शिव लिंग बाबा श्रीबूढ़ेनाथ स्वामी मंदिर में भक्तों द्वारा रुद्राभिषेक रोजाना कराया जा रहा है । दूर दूर से लोग बाबा,और लीला के दर्शन करने आ रहे हैं। चित्रकूट के मुख्य यज्ञाचार्य शिवाकांत शास्त्री और आचार्यो के साथ यजमान आशीष से पत्नी के साथ यज्ञ में लगातार वेद मंत्रोच्चारण के साथ हवन कर रहे  है। यज्ञ के पांचवें दिन (शनिवार) को वृंदावन से पधारे रासलीला मंडली के मुखिया अनिल तिवारी के कलाकारों ने नारद मोह लीला के पूर्व महारास का अद्भुत मंचन किया । नारद एक जगह भगवान के भजन में इतने लीन हो जाते हैं कि इंद्र देव का सिंहासन हिल जाता है। सिंहासन जाने के डर के चलते इंद्र नारद के तप को भंग करने के लिए कामदेव और अप्सरा भेजते हैं। फिर भी नारद का ध्यान भंग नहीं होता है तो कामदेव नतमस्तक हो जाता है और नारदजी से क्षमा मांगते है। इसकी जानकारी होने पर नारद को अभिमान हो जाता है कि उन्होंने कामदेव को जीत लिया है। इसकी जानकारी वह एक-एक करके ब्रह्मा, महेश और विष्णु को देते हैं। अभिमान को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने अपनी माया से सुंदर नगर और सुंदर राजकुमारी की रचना की। जहां पहुंचकर नारद श्रीलनिधी राजा के आग्रह पर उनकी बेटी विश्वमोहिनी की हस्तरेखा देखते हैं। हस्तरेखा देखकर नारद विश्वमोहिनी से विवाह करना चाहते हैं और भगवान विष्णु से हरि रूप लेकर आते हैं। जबकि हरि रूप में उन्हें बंदर का रूप दिया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु मौके पर पहुंच जाते हैं और विश्वमोहिनी से विवाह करते हैं। यहां नारद श्राप देते हैं कि जिस प्रकार में एक स्त्री के लिए व्याकुल हुआ हूं। उसी प्रकार आपको (विष्णु भगवान) को भी एक स्त्री के वियोग में व्याकुल होना पड़ेगा। इसके साथ ही जिस बंदर का चेहरा दिया है। ऐसे बंदर ही पृथ्वीलोक पर आपकी मदद करेंगे। इसे विष्णु भगवान स्वीकार करते हैं और बताते हैं कि यह सब तो उनकी माया थी। इस दौरान राधे शुक्ला (अविक), अमित तिवारी, शुभम अवस्थी , गौरव ,संजय तिवारीगोपाल शुक्ला,श्याम जी शुक्ला,शिवम,मोहित,हर्षित तिवारी,प्रशांत,दीपक,शिवा,प्रांजुल आदि रहे।

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