डॉ अंबेडकर का मिशन कमजोर कर रही है युवाओं में बढ़ती नशे की लत...ज्योति बाबा सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध एकजुट होकर संघर्ष करने के मंत्र को भूला दलित समाज...ज्योति बाबा कानपुर। बाबा साहब ने समाज में फैली बुराइयों को दूर करने और जीवन में सफलता लाने के लिए तीन मूल मंत्र दिए थे शिक्षित बनो, एक रहो और संघर्ष करो,लेकिन युवाओं और समाज में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति उनके इस मिशन को कमजोर कर रही है बाबा साहब अक्सर कहा करते थे कि समाज तभी तरक्की कर सकता है जब समाज के लोग पढ़े लिखे और शिक्षित हो नशा ,जुए जैसी बुरी आदतों से दूर रहें इसके लिए घर की महिलाओं को प्रयास करना होगा बच्चों को शुरू से ही सामाजिक संस्कार दें और बीड़ी,सिगरेट, पान मसाला, ड्रग्स व शराब जैसी चीजों से दूर रहने के लिए प्रेरित करें उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन के तहत सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में बाबा साहेब डॉक्टर बी आर अंबेडकर के 133वीं जयंती पर्व पर श्रद्धा सुमन माल्यार्पण करने के बाद आयोजित ज्ञान दिवस, समानता दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति अभियान के प्रमुख योग गुरू ज्योति बाबा ने कहीं,ज्योति बाबा ने कहा कि डॉ आंबेडकर एक विख्यात राजनेता विधि विशेषज्ञ  एवं संविधान के ज्ञाता थे वह राज्य की सत्ता और व्यक्ति की स्वतंत्रता में संतुलन और सामाजिक शांति तथा जनता के विभिन्न वर्गों के बीच न्याय व्यवहार के लिए कानून के शासन को महत्व देते हैं उनका मानना है कि कानून समानता और स्वाधीनता का रक्षक होता है यह सरकार, समाज और राष्ट्र की समूची कार्यकारिणी को नियंत्रित करता है और यह सभी को सीमाओं में बांधता है, ज्योति बाबा ने कहा कि डॉ आंबेडकर सामाजिक और आर्थिक समानता के पक्षधर थे उनका मानना था कि समाज का मूल्यांकन बात से किया जाता है कि इसमें महिलाओं की क्या स्थिति है लेकिन आज बढ़ चुकी नशाखोरी से पारिवारिक ढांचा चरमराने लगा है परिणाम स्वरुप महिलाओं व बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन तीव्र हो गया है समाजचिंतक नवीन गुप्ता ने कहा कि भारतीय राजनीति के इतिहास में डॉक्टर अंबेडकर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अस्पृश्यता से उत्पन्न होने वाली निर्योग्यताओं को सहन किया और एक कर्मयोगी के रूप में इस समस्या के निराकरण पर ठोस विचार किया और इसके उन्मूलन के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया, आयुर्वेदाचार्य अमित श्रीवास्तव ने कहा कि डॉक्टर अंबेडकर कहा करते थे कि मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता,समानता और भाईचारा सिखाएं,जब तक सामाजिक जनतंत्र स्थापित नहीं होता है तब तक सामाजिक चेतना का विकास संभव नहीं हो पता है। सोशल एक्टिविस्ट गीता पाल ने कहा कि डॉ अंबेडकर का नारा था कि शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो, इसीलिए आज नशा मुक्त भारत बनाने में अंबेडकर की विचारधारा बहुत कारगर है क्योंकि महिला सशक्तिकरण तभी धरातल पर दिखाई देगा जब हर परिवार नशे के रोग से मुक्त होगा अंत में योग गुरू ज्योति बाबा ने अंबेडकर जयंती पर्व पर उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए नशे के रोग से मुक्त रहने का संकल्प भी कराया। अन्य प्रमुख विकास कुमार गौड़ एडवोकेट ,राजेश गुप्ता एडवोकेट, रवि शुक्ला,डॉक्टर धर्मेंद्र यादव इत्यादि थे।

 डॉ अंबेडकर का मिशन कमजोर कर रही है युवाओं में बढ़ती नशे की लत...ज्योति बाबा 


सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध एकजुट होकर संघर्ष करने के मंत्र को भूला दलित समाज...ज्योति बाबा 


कानपुर। बाबा साहब ने समाज में फैली बुराइयों को दूर करने और जीवन में सफलता लाने के लिए तीन मूल मंत्र दिए थे शिक्षित बनो, एक रहो और संघर्ष करो,लेकिन युवाओं और समाज में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति उनके इस मिशन को कमजोर कर रही है बाबा साहब अक्सर कहा करते थे कि समाज तभी तरक्की कर सकता है जब समाज के लोग पढ़े लिखे और शिक्षित हो नशा ,जुए जैसी बुरी आदतों से दूर रहें इसके लिए घर की महिलाओं को प्रयास करना होगा बच्चों को शुरू से ही सामाजिक संस्कार दें और बीड़ी,सिगरेट, पान मसाला, ड्रग्स व शराब जैसी चीजों से दूर रहने के लिए प्रेरित करें उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन के तहत सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में बाबा साहेब डॉक्टर बी आर अंबेडकर के 133वीं जयंती पर्व पर श्रद्धा सुमन माल्यार्पण करने के बाद आयोजित ज्ञान दिवस, समानता दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति अभियान के प्रमुख योग गुरू ज्योति बाबा ने कहीं,ज्योति बाबा ने कहा कि डॉ आंबेडकर एक विख्यात राजनेता विधि विशेषज्ञ  एवं संविधान के ज्ञाता थे वह राज्य की सत्ता और व्यक्ति की स्वतंत्रता में संतुलन और सामाजिक शांति तथा जनता के विभिन्न वर्गों के बीच न्याय व्यवहार के लिए कानून के शासन को महत्व देते हैं उनका मानना है कि कानून समानता और स्वाधीनता का रक्षक होता है यह सरकार, समाज और राष्ट्र की समूची कार्यकारिणी को नियंत्रित करता है और यह सभी को सीमाओं में बांधता है, ज्योति बाबा ने कहा कि डॉ आंबेडकर सामाजिक और आर्थिक समानता के पक्षधर थे उनका मानना था कि समाज का मूल्यांकन बात से किया जाता है कि इसमें महिलाओं की क्या स्थिति है लेकिन आज बढ़ चुकी नशाखोरी से पारिवारिक ढांचा चरमराने लगा है परिणाम स्वरुप महिलाओं व बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन तीव्र हो गया है समाजचिंतक नवीन गुप्ता ने कहा कि भारतीय राजनीति के इतिहास में डॉक्टर अंबेडकर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अस्पृश्यता से उत्पन्न होने वाली निर्योग्यताओं को सहन किया और एक कर्मयोगी के रूप में इस समस्या के निराकरण पर ठोस विचार किया और इसके उन्मूलन के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया, आयुर्वेदाचार्य अमित श्रीवास्तव ने कहा कि डॉक्टर अंबेडकर कहा करते थे कि मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता,समानता और भाईचारा सिखाएं,जब तक सामाजिक जनतंत्र स्थापित नहीं होता है तब तक सामाजिक चेतना का विकास संभव नहीं हो पता है। सोशल एक्टिविस्ट गीता पाल ने कहा कि डॉ अंबेडकर का नारा था कि शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो, इसीलिए आज नशा मुक्त भारत बनाने में अंबेडकर की विचारधारा बहुत कारगर है क्योंकि महिला सशक्तिकरण तभी धरातल पर दिखाई देगा जब हर परिवार नशे के रोग से मुक्त होगा अंत में योग गुरू ज्योति बाबा ने अंबेडकर जयंती पर्व पर उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए नशे के रोग से मुक्त रहने का संकल्प भी कराया। अन्य प्रमुख विकास कुमार गौड़ एडवोकेट ,राजेश गुप्ता एडवोकेट, रवि शुक्ला,डॉक्टर धर्मेंद्र यादव इत्यादि थे।


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