संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए चार दिवसीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के दूसरे बैच का प्रशिक्षण हुआ आरम्भ
संवेदनशील परवरिश एवं  सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए चार दिवसीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के दूसरे बैच का प्रशिक्षण हुआ आरम्भ


फतेहपुर।चार दिवसीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के दूसरे बैच का प्रशिक्षण आज से आरंभ हो चूका है।   प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ प्रारंभिक बाल्य विकास विषय की विषयविद डा. अनुभा राजेश एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक - राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन लाल चंद्र गौतम की  गरिमामयी उपस्थिति में किया गया। प्रशिक्षण कार्यशाला  के शुभारंभ के दौरान जिला कार्यक्रम प्रबंधक - एन. एच. एम. द्वारा ब्लाक अमौली ,खजुआ ,देवमई ,बहुआ एवं असोथर से आये समस्त प्रतिभागियों को शुभकामनायें दी गई एवं उन्होंने अपने उद्बोधन में समस्त प्रतिभागियों से कहा की  जीवन के पहले हजार दिनों में दी गई परवरिश न केवल तात्कालिक विकास को प्रभावित करती है, बल्कि यह बच्चों के जीवनभर की स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक परिणामों को भी आकार देती है। इस अवधि के दौरान माता-पिता और देखभाल करने वालों द्वारा किए गए छोटे-छोटे प्रयास दीर्घकालिक में बड़े बदलाव ला सकते हैं। इसीलिए, इन शुरुआती वर्षों में बच्चों को एक पोषित, प्यार भरा, और संवेदनशील  वातावरण प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री गौतम द्वारा  बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विकास को मानवीय जीवन की सबसे बड़ी जरुरत के रूप में आवश्यक बताया और प्रतिभागियों को  समझाया की  सुरक्षित और स्थिर भावनात्मक वातावरण में पालन-पोषण से बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना विकसित होती है। माता-पिता या देखभाल करने वाले के साथ मजबूत बंधन बच्चों को सामाजिक संबंधों को समझने और बनाने में मदद करता है। इस अवधि में बच्चों को अपने भावनाओं को समझने और व्यक्त करने का तरीका सीखने में मदद मिलती है, जो भविष्य में उनके मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों पर प्रभाव डालता है। सम्पूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान डा. अनुभा राजेश द्वारा प्रतिभागियों को सम्पूर्ण गर्भकाल के दौरान गर्भस्थ शिशु एवं  माँ की  रोचक एवं संवेदनशील जीवन यात्रा का परिचय वीडियो एवं व्याख्यान के द्वारा कराया गया, साथ ही गर्भवती माँ एवं परिवार का जुड़ाव गर्भस्थ शिशु के साथ कैसे बढे इस विषय पर भी बड़े ही रोचक ढंग से प्रतिभागियों को समझाया गया। जिला मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य परामर्शदाता आलोक कुमार द्वारा गर्भवती माताओं  की शारीरिक और मानसिक देखभाल  - देखभाल करने वालों और ए.ए.ए. की भूमिका और भी संवेदनशील बनाने पर जोर दिया उन्होंने कहा की गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के लिए शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियाँ बढ़ जाती है ऐसी स्थिति में देखभाल करने वालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जब असुविधा कई गुना बढ़ जाए, तो अपना प्यार और समर्थन भी बढ़ाएं! उनकी देखभाल में गर्भवती महिला को निश्चिंत रहना चाहिए और तनाव मुक्त रहना चाहिए।
गर्भवती महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से पति के निरंतर समर्थन की आवश्यकता होती है क्योंकि वे गर्भावस्था के दौरान मिश्रित भावनाओं से गुजरती हैं। परिवार को स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम, सुरक्षित वातावरण के साथ निरंतर भावनात्मक समर्थन प्रदान करना चाहिए जहां आराम को प्राथमिकता दी जाती है, और इन परिवर्तनों के दौरान उसे पूरी तरह से समझा और स्वीकार किया जाता है। माँ, सास, बड़ी ननद/ससुराल/सहेलियाँ गर्भवती महिला के साथ प्रसव प्रक्रिया का विवरण साझा करके इस बात पर ध्यान केंद्रित करके मदद कर सकती हैं कि उसे क्या करना चाहिए। दूसरे बैच के इस प्रथम प्रशिक्षण दिवस के विभिन्न तकनिकी सत्रों के दौरान जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना के कार्यक्रम प्रबंधक मुस्तफीज इकबाल  एवं राज्य प्रमुख साक्षी पवार के नेतृत्व में सम्पूर्ण टीम के द्वारा सराहनीय सहयोग प्रदान किया गया।
टिप्पणियाँ
Popular posts
दुबई जेल में कैद बांदा की शहज़ादी को 21 सितम्बर को दी जाएगी फांसी
चित्र
जमीनी विवाद को लेकर करुइया डेरा में पति पत्नी कि बेरहमी से पिटाई
चित्र
कानपुर प्रयागराज हाइवे पर तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर टकराई महिला सहित दो की मौके पर दर्दनाक मौत,तीन गंभीर से घायल जिला अस्पताल में भर्ती
चित्र
साहब पलक झपकते हो गया विकास
चित्र
भाजपा जिला अध्यक्ष बूथ में पहुंचकर की सदस्यता की शुरुआत
चित्र