*वृक्ष लगाओ जीवन बचाओ*
पेड़ काट कर आदमी, जीवन रहा बिगार।
नहीं पता खुद पांव में, रहा कुल्हाड़ी मार।।
पेड़ प्रभू का रूप है ,पेड़ प्रकृति का प्यार।
पेड़ नहीं जिस दिन रहा, मिटे सकल संसार।।
पानी बिन पौधा नहीं ,बिन पौधा नहिं नीर ।
बिना नीर के ना रहे, जीवन जगत शरीर।।
मानव अपने स्वार्थ में, रहा प्रकृति को छेड़।
नदी ताल को पाट कर, काट रहा है पेड़।।
तरुवर गिरवर काट कर ,किया मनुज मैदान।
अब क्यों कहता ताप से, तड़प रही है जान।।
पेड़ नहीं तुम काटिए, पेड़ हमारी जान।
पेड़ों के कारण खिली, चेहरे में मुस्कान।।
कवि जीवन जिद्दी गांव रिठवां भैरवा जनपद फतेहपुर उत्तर प्रदेश