सभी के सहयोग से ही गांव का विकास संभव : पवन कुमार मीणा
फतेहपुर। किसी भी जिले का विकास तभी हो सकता है जब हम सब मिलकर किसी भी काम को आगे बढ़ाएं। सरकार की ओर से जितने भी योजनाएं चलायी जा रही है उसमें पीरामल फाउंडेशन का निश्चित रूप से अहम भुमिका है। जिले में चल रही संपूर्णता अभियान में भी फाउंडेशन की ओर से पूरा सहयोग मिल रहा है। साथ लगभग सभी पंचायतों के प्रधान से भी पूरा सहयोग मिल रहा है। ये बातें मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीणा ने बुधवार को पीरामल फाउंडेशन द्वारा आयोजित संपूर्णता अभियान को लेकर हुई एक बैठक में कहीं। इस मौके पर श्री मीणा ने 40 पंचायतों के प्रधानों और सचिवों के साथ "स्वस्थ पंचायत" और उसके घटकों पर विस्तार से चर्चा की।
इस बैठक में जिला विकास अधिकारी (डीडीओ), प्रमोद सिंह चंदौल, जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ), उपेंद्र और सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी (एडीपीआरओ), रमा शंकर व पिरामल से संजय सिंह एवं रोहिनी सहित कई लोग उपस्थित थे।
बैठक में श्री मीणा ने ग्राम प्रधानों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाते हुए गांव में आयुष्मान कार्ड, वीएचएसएनडी और छोटे छोटे उद्योगों को सभी सदस्यों तक पहुंचाने के लिए ने प्रोत्साहित किया।
इसके अलावा प्रधानों को आंगनवाड़ी, (गांव स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस) और स्कूलों का दौरा करने की सलाह दी, ताकि सभी कार्यक्रमों का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके। श्री सिंह ने प्रधानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे आप अपने गांव के नेता हैं और गांव के लोग जबतक स्वस्थ्य नहीं रहेंगे तबतक गांव का विकास नहीं हो सकता है। क्योंकि गांव के विकास से ही देश का विकास संभव है। इस कारण गांव के विकास में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
बैठक में सुजानपुर की प्रधान हेमलता पटेल और टांडा के प्रधान ने अपनी सफलता की कहानियों को सरकारी अधिकारियों के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने वीएचएसएनडी सत्र में 100% प्रसव पूर्व जॉच सुनिश्चित की।
बैठक में स्वस्थ पंचायत की अवधारणा पर विस्तृत चर्चा की गई। ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने अपनी पंचायतों में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अपनाए गए विभिन्न उपायों पर अपने अनुभव साझा किया। प्रधानों ने बताया कि उन्होंने स्थानीय स्व-शासन इकाइयों को सक्रिय रूप से शामिल कर स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों, टीकाकरण कार्यक्रमों और पोषण सत्रों का सफल आयोजन किया है।प्रधानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे सामुदायिक सहभागिता और सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन से ग्रामों में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।