एस.बी.एस कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी मलवां को विज्ञान और प्रद्योगिकी परिषद् उत्तरप्रदेश द्वारा 15.36 लाख की मिली रिसर्च ग्रांट
फतेहपुर।उत्तर प्रदेश में पुरुषों में ओरल और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की बढ़ती घटनाओं के कारण, एसबीएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी मलवां प्रस्तावित शोध के माध्यम से समाधान खोजने की कोशिश करेगा। यह प्रस्तावित शोध ओरल और ब्रेस्ट कैंसर के लिए आयुर्वेदिक औषधीय पौधे निगेला सैटिवा के फाइटो-मेटाबोलाइट्स की कैंसर-रोधी क्षमता का पता लगाएगा। इस शोध के लिए, एसबीएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी को उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद से 15.36 लाख का शोध अनुदान प्राप्त हुआ है। यह अनुसंधान दवा विकास प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मध्यवर्ती चरण के रूप में कार्य करेगा, प्रभावी लागत और कम दुष्प्रभाव वाले उत्पादों का उत्पादन करेगा जो उत्तर प्रदेश, भारत और दुनिया भर में कैंसर रोगियों के उपचार , रोगी अनुपालन और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगा। इस शोध अनुदान के माध्यम से एस.बी.एस. कॉलेज ऑफ फार्मेसी अकादमिक उत्कृष्टता के अलावा अनुसंधान और विकास में अपनी उत्कृष्टता साबित करता है।
एसबीएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्रबंधन ने अनुसंधान दल की सदस्य डॉ. श्रेया सिंह (प्रधान अन्वेषक, एसोसिएट प्रोफेसर) डॉ. गुलजार आलम (सह-प्रधान अन्वेषक, प्राचार्य) ,श्रीमती आरती गौतम (सह-प्रधान अन्वेषक, सहायक प्रोफेसर) और अनुभूति मिश्रा (सह-प्रधान अन्वेषक, सहायक प्रोफेसर) को बधाई दी।
संस्थान प्राचार्य डॉ. गुलजार आलम ने शोध दल के सदस्यों को बधाई दी और कहा कि एसबीएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी हर दिन अकादमिक और अनुसंधान में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है साथ ही साथ उन्होंने बताया जल्द ही संस्थान को एम.फार्म पाठ्यक्रम के लिए मंजूरी मिल जाएगी। यह एम.फार्म पाठ्यक्रम अस्पतालों, दवा उद्योगों, अनुसंधान संस्थानों और शिक्षाविदों जैसे क्षेत्रों में विविध कैरियर के अवसरों में मदद करेगा। यह फार्मेसी में पीएचडी करने के लिए एक ठोस नींव भी प्रदान करेगा।
एडमिशन सेल व स्टूडेंट वेलफेयर एसोसिएशन हेड शोभित गुप्ता ने बताया कि हम फतेहपुर में यह शोध अनुदान प्राप्त करने वाले पहले कॉलेज हैं। आस-पास के जिले के कुछ प्रतिष्ठित कॉलेजों को इस तरह का शोध अनुदान मिला है और अब एस.बी.एस. कॉलेज ऑफ फार्मेसी उनमें से एक है।