भजन कीर्तन के साथ धर्म ध्वजा फ़हराई गई
उत्तम त्याग धर्म सभी को जीवन मे अपनाना चाहिए
त्याग की भावना ही मोक्ष मार्ग का द्वार है।
बाँदा - पर्युषण पर्व अर्थात दस लक्षण पर्व के दिनों में आज आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म का है
क्रोध, मान, माया और लोभ आदि विकारी भावों को छोडऩा अर्थात *राग द्वेष क्रोध मान,अहंकार आदि विकार भावों का आत्मा से छूट जाना ही त्याग धर्म है* एवं अपने उपभोग के धन-धान्य आदि पदार्थों का सुपात्र को दान करना भी त्याग धर्म है।
आज छोटी बाजार स्थित चैत्यालय जी मे अपने प्रवचन में पंडित चितरंजन जी ने उत्तम त्याग धर्म के बारे में बताया कि -आमतौर पर दान करने को ही त्याग कहा व समझा जाता है।
लेकिन त्याग और दान में बहुत अन्तर है। *दान किसी उद्देश्य व परोपकार
के लिए जबकि त्याग संयम के लिये होता है।*
दान से पुण्य बन्ध होता है जबकि त्याग करना धर्म है।लोगो को धन का लोभ नहीं छूटता वह थोड़ा दान करता है तो उससे ज्यादा कमाने को आतुर रहता है लेकिन त्यागी जो त्याग देता है फिर उसके चक्कर में नहीं रहता। दान में कभी कभी अहंकार,मय का भाव भी आ जाता हैंपर त्याग में नही। यही दान व त्याग में अंतर होता है।
साथ ही आज चैत्यालय जी के शिखर पर निशान चढ़ा अथात बिधि विधान एवं मंत्रो के साथ धर्म ध्वजा फहराई गई ध्वजा फहराने के बाद भजन कीर्तन के साथ जिनवाणी की स्तुति की, जैन अनुयायियों ने प्रार्थना की कि संसार मे अमन चैन बना रहे ,लोग अपने जीवन मे सदा धर्म का अनुसरण करते रहे तभी व्यक्ति सदमार्ग पर चलते हुए मोक्ष लक्ष्मी को का सकता है ।