विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया


 बांदा - उद्घाटन प्राचार्या डॉ 0 दीपाली गुप्ता एवं  मनोरोग चिकित्सक डॉ हर दयाल द्वारा  दीप प्रज्वलित कर शुरू किया गया।
      मनोरोग चिकित्सक डॉ हरदयाल ने बताया कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2003 में WHO और इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) द्वारा की गई थी।यह आत्महत्या संबंधी पूर्वाग्रहों को कम करने और संगठनों, सरकार तथा जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के साथ आत्महत्या को रोकने का संदेश देता है। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ रिजवाना हाशमी ने बताया कि कर्ज के बोझ और फसल की बर्बादी के कारण बड़ी संख्या में किसानों द्वारा आत्महत्या की गई।भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कीटनाशकों जैसे घातक पदार्थों तक पहुँच अपेक्षाकृत सरल है और यह आवेगपूर्ण आत्महत्याओं की उच्च दर में योगदान देता है।  डॉ जयंती ने बताया कि व्यक्ति की सबसे अच्छी मित्र किताब है कोई भी अच्छी किताब लेकर उसका अध्ययन जरूर करें जैसे महात्मा गांधी हमेशा गीता अध्ययन करते थे प्रवक्ता ने बताया कि गीता में निष्काम योग के विषय में जानकारी दी । अनुश्रवण एवं मूल्यांकन अधिकारी  नरेन्द्र  मिश्रा ने बताया कि भारत में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं 15 से 39 वर्ष के लोग कर रहे हैं जिसमें भारत में प्रतिदिन 28 लोग आत्महत्या करते हैं बुंदेलखंड में बांदा आत्महत्या करने में नंबर एक पर है  हम सबको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए लोगों को समय-समय पर काउंसलिंग लेते रहना चाहिए योग और प्राणायाम अवश्य करना चाहिए परिवार के साथ समय व्यतीत करना चाहिए ।प्रवक्ता डॉ सबीहा रहमानी ने बताया कि यौवनावस्था से पूर्व बच्चों में आत्महत्या बहुत कम ही देखी जाती है और यह मुख्य रूप से किशोरावस्था के, खास तौर पर 15 से 19 वर्ष की आयु के बीच, तथा वयस्क उम्र के लोगों की समस्या है।  समय-समय पर जागरूकता कार्यशालाएं अवश्य होनी चाहिए। जितेंद्र जी  एवं त्रिभुवन नाथ जी ने भी अपने विचार  व्यक्त किया।  और बताया कि आत्महत्या करने वालों में 80% साक्षर हैं । भारत में हर घंटे में एक छात्र आत्महत्या करते है।   त्रिभुवन नाथ  ने बताया कि ऑनलाइन काउंसलिंग 14416 एवं 85 2870 9525 पर भी कर सकते हैं।  डॉ दीपाली गुप्ता ने सभी का धन्यवाद  ज्ञापित किया और उन्होंने कहा कि मन हारे हार है मन के जीते जीत इसलिए हमेशा अपने मन की सुनना चाहिए चाहे किसी भी स्थिति में रहे हमेशा सम भाव रखना चाहिए।  कार्यशाला में केस रजिस्ट्री असिस्टेंट अनुपम त्रिपाठी व अशोक कुमार द्वारा प्रश्नोत्तरी कर बच्चों को पुरष्कृत किया गया।
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