बुन्देलखण्ड क्षेत्र किसी भी मायने में पिछड़ा नहीं है - सूर्य प्रताप शाही
बुन्देलखण्ड क्षेत्र किसी भी मायने में पिछड़ा नहीं है - सूर्य प्रताप शाही


दो दिवसीय किसान मेले का हुआ समापन 



बाँदा। कल कृषि मंत्री सूर्य प्रताप बांदा कृषि विश्वविद्यालय में लगे किसान मेले के समापन में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे जहां पर उन्होंने कहा बड़े ही कठिन परिश्रम से कृषक हितैसी तकनीकियो का विकास होता है। वैज्ञानिकों के द्वारा किये गये शोध व क्षेत्र पर प्रयोग के बाद ही तकनीकी का प्रसार किया जाता है। कृषि विश्वविद्यालय बाँदा द्वारा प्राकृतिक खेती पर किये जा रहे शोध व प्रयोग सराहनीय है। इसका प्रसार कृषकों तक हो सके इसके लिये वैज्ञानिकों को आगे आना होगा। पूर्व में यहाँ की मृदा अनउपजाऊ व जंगली बबूल से आच्छादित थी जिसे निर्देशित कर सफाई करके खेती के कार्य में लिया जा रहा है। यहाँ पर उत्पादित हो रहे खजूर, ड्रैगन फूड, चिरौंजी के पेड़ कृषक भाइयों को देखना चाहिए और इसे अपनाना चाहिए। बुन्देलखण्ड में अन्ना प्रथा के समस्या के दृष्टिगत पशु चिकित्सा महाविद्यालय व पशु उपचार केन्द्र से पशु पालक लाभान्वित होंगे। जिससे कृषकों की आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आयेगा। तकनीकी का विकास कृषकों के समस्याओं और उनकी प्रेरणा से मिलती हैं जिसे वैज्ञानिकों द्वारा शोध उपरान्त खोजा जाता है। आज हम कह सकते हैं कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र किसी भी मायने में पिछड़ा नहीं है। यह वकतव्य सूर्य प्रताप शाही, मंत्री, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान उ0 प्र0 सरकार ने प्रसार निदेशालय,
 कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा द्वारा आयोजित दो दिवसीय किसान मेला के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, विश्वविद्यालय परिसर में कृषि विज्ञान केन्द्र बाँदा में संचालित सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस प्राकृतिक, जैविक एवं शुुष्क खेती परियोजना के अन्तर्गत बकरी, मुर्गी फार्म के शेड व दुग्ध परीक्षण प्रयोगशाला का लोकार्पण किया।
 मंत्री ने आज विश्वविद्यालय परिसर में संचालित सभी गतिविधियों का निरीक्षण किया व आवश्यक दिशा निर्देश दिये। शाही ने कहा कि यह विश्वविद्यालय पिछले कई वर्षों से शिक्षा के साथ-साथ शोध और प्रसार पर अच्छा कार्य कर रहा है इसके लिये कुलपति के साथ-साथ सभी बधाई के पात्र हैं। किसानों को एक समय अन्तराल पर बीज का बदलाव अधिक उत्पादन हेतु करना चाहिए। मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी एवं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूँ की उन्होंने बुन्देलखण्ड में कृषि के सुधार एवं सर्वांगीण विकास के लिये कई योजनायें एवं अनुदान दिये हैं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि व अध्यक्ष, गौ सेवा आयोग, उ0प्र0 श्याम बिहारी गुप्ता ने कहा कि खेती को टिकाऊ तभी बनाया जा सकता है जब हम इसे गौ आधारित अथवा प्राकृतिक रूप से खेती को बढ़ावा दें। उन्होंने सभी किसानों से अनुरोध किया कि खेत पर मेढ़ व किसान खेत में तथा घर पर गौ माता अवश्य रखना चाहिए। आने वाली पीढ़ी को हम बीमार मृदा न देकर जायें। गुप्ता ने गाय के महत्व एवं उससे प्राप्त गोमूत्र का कृषि में उपयोग को विस्तारपूर्वक बताया।
राजेश सिंह सेंगर, सदस्य, प्रबन्ध परिषद्, बीयूएटी, बाँदा ने बताया कि यह विश्वविद्यालय कृषकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहाँ पर उत्पादित फसलों, फलों व सब्जियों को कृषक अवश्य देखें व वैज्ञानिकों से संवाद स्थापित करें। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो0 नरेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि दो दिवसीय किसान मेला में बुन्देलखण्ड के कई जिलों के किसान गेहूँ, चना, मसूर व सरसों की उन्नतशील प्रजातियों के बीज क्रय किये हैं। विश्वविद्यालय निरन्तर कृषक हितैसी तकनीकियों के विकास में लगा है। प्रसार की अन्य विधियों से हमारे विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक कृषकों तक पहुँच रहे हैं। यह विश्वविद्यालय किसानों के खेती में होने वाली समस्याओं के समाधान हेतु कार्य करता रहेगा।
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