बांदा कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन
बांदा कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन 

खेती-बारी बिना मन व हीन भावना से नहीं होनी चाहिए- अयोध्या सिंह पटेल



बांदा। आजादी के बाद भारतीय कृषि में साकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। कृषि के क्षेत्र में विज्ञान ने भी ऐसे ही प्रगति किया है जैसे अन्य क्षेत्र ने। फलस्वरूप आज हम अन्न, दुग्ध, फल, सब्जी एवं माँस में आत्मनिर्भर हैं। खेती में कृषि वैज्ञानिकों का योगदान व कुछ कृषक वैज्ञानिकों ने इसे और सुदृढ़ बनाया है। खेती-बारी करने के लिये कभी भी हीन भावना मन में नहीं लाना चाहिए। बिना मन से किये गये खेती बारी हमेशा घाटे का सौदा होता है। आज के समय बहुत से किसान कृषि के क्षेत्र में नया करके दिखाया है, और सीमित संसाधनों एवं कठिनाईयों के बाद भी उत्पादन लेने में सफल हुए हैं। पहले किसान अच्छी सड़कें न होने से अपने उत्पाद को बाजार तक नहीं पहुँचा पाते थे, परन्तु आज ऐसा नहीं है। यह बातें पूर्व राज्यमंत्री व निवर्तमान अध्यक्ष, बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड,अयोध्या सिंह पटेल ने प्रसार निदेशालय, कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा द्वारा आयोजित दो दिवसीय किसान मेला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही।पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय विभिन्न फसलों के उन्नतशील प्रजातियों के बीज उपलब्ध करा रहा है यह एक सराहनीह कार्य है। वास्तव में किसान मेले का उद्देश्य किसानों व आदान वितरकों तथा तकनीकी उपलब्ध कराने वाले संस्थाओं के संगम के लिये लागाया जाता है, जिससे अधिक से अधिक कृषक लाभान्वित हो सके। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित बाँदा जिला पंचायत अध्यक्ष, श्री सुनील कुमार पटेल जी ने कहा कि किसानों के पास खेती-बारी से सम्बन्धित अनेक सम्स्यायें हैं। समस्याओं का समाधान कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा के वैज्ञानिकों के द्वारा किया जाये इसके लिये आवश्यक है कि किसान व वैज्ञानिक विश्वविद्यालय एवं प्रक्षेत्र पर संवाद करें। कृषि विश्वविद्यालय, बाँदा इस क्षेत्र के लिये एक गौरव है इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ यहाँ के युवाओं और किसानों को उठाना चाहिए। कम सिंचाई माँग वाली फसलों को लगाकर सिंचाई जल कि समस्या से समाधान पाया जा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो0 नरेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि किसान मेला इस क्षेत्र के किसानों एवं अन्य हित धारकों के लिये एक बड़ा कार्यक्रम है। जिसे शोधोपरान्त क्षेत्रानुकूल तकनीकियों को प्रसारित करने का एक सुगम साधन है जिसे विश्वविद्यालय अपने संसाधनों से आयोजित करता है। बुन्देलखण्ड के कृषक विश्वविद्यालय द्वारा कृषि के क्षेत्र में किये जा रहे नवाचार को जान सके इसके लिये वैज्ञानिक, कृषक एवं आदान वितरक एक प्लेटफार्म पर अपने हित साझा करते हैं। किसान मेला विश्वविद्यालय का एक नियमित कार्यक्रम है जिसे विश्वविद्यालय पिछले कई वर्षों से आयोजित कर रहा है। कृषक, आदान वितरक व सम्मानित जनप्रतिनिधियों का सहयोग मिला तो ऐसे कार्यक्रम विश्वविद्यालय आयोजित करता रहेगा। किसान मेले में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मकदूम, मथुरा के प्रधान वैज्ञानिक, डा0 बी0 राय ने बुन्देलखण्डी बकरी इस क्षेत्र के लिये वरदान है ऐसा कहा। बकरी पालन से आजीविका के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि हो रही है इसके कई उदाहरण बताये। डा0 राय ने बताया कि मेले के साथ-साथ केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मकदूम, मथुरा के तत्वावधान में आदिवासी ग्रामीण किसानों एवं महिलाओं को बकरी पालन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम उद्यान महाविद्यालय के सभागार में किया जा रहा है। जिसमें प्रथम दिवस में मानिकपुर क्षेत्र के ग्राम झरी, ढ़ाडी कोलान, करहुआ व मानिकपुर कल्याण केन्द्र के लगभग 200 किसानों ने प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया। प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रसार, प्रो0 एन0 के0 बाजपेयी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। प्रो0 बाजपेयी ने बताया कि किसान मेले में कुल 104 स्टॉल जिसमें सरकारी विभागों, खाद उर्वरक, बीज, पादप रासायन, खाद्य सामग्री हस्त शिल्प आयूर्वेद, कृषि यंत्र एवं मशीनिरी बनाने वाली संस्थाओं व छात्रों ने लगायें हैं।
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