*आखिरी अमृत स्नान पर दिखा सनातन का विराट रूप, आज से काशी रवाना होंगे शैव अखाड़े*
आखिरी अमृत स्नान के साथ अखाड़ों का प्रयाग प्रवास सोमवार को पूर्ण हो गया। शैव अखाड़े के संन्यासी अगले चरण में काशी प्रवास के लिए यहां से रवाना होने लगे हैं। वहीं, अनि और उदासीन अखाड़े के संत अन्य धार्मिक संस्कार पूर्ण करके अपने-अपने स्थान को लौटेंगे।
वसंत पंचमी पर तीसरे अमृत स्नान के दौरान संगम तीरे सनातन धर्म का विराट स्वरूप नजर आया। सनातन परंपरा के सभी 13 अखाड़ों ने राजसी ठाठ-बाट के साथ अमृत स्नान किया। संगम नगरी महादेव और सियाराम के जयकारों से गूंजती रही। हजारों की संख्या में नागा संन्यासी त्रिशूल, गदा और तलवार लहराते हुए स्नान के लिए पहुंचे। आखिरी अमृत स्नान के साथ अखाड़ों का प्रयाग प्रवास सोमवार को पूर्ण हो गया।
शैव अखाड़े के संन्यासी अगले चरण में काशी प्रवास के लिए यहां से रवाना होने लगे हैं। वहीं, अनि और उदासीन अखाड़े के संत अन्य धार्मिक संस्कार पूर्ण करके अपने-अपने स्थान को लौटेंगे। अमृत स्नान के लिए सबसे पहले तड़के करीब चार बजे छावनी से श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा निकले। विधि-विधान से छावनी में ईष्ट देव की पूजा-अर्चना की गई।
इसके बाद हजारों नागा संन्यासियों ने शस्त्र प्रदर्शन किया। अखाड़े के दिव्य भाल सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश को नागा संन्यासियों ने कंधों पर थामा। उनके पीछे ईष्ट देव भगवान कपिल की पालकी चली। आचार्य महामंडलेश्वर के पीछे नागा संन्यासी तलवार, गदा और त्रिशूल लहराते हुए बढ़े।
दर्जनों महामंडलेश्वर भी शिष्यों के संग रथों पर सवार होकर निकले। अस्त्र-शस्त्र के साथ दौड़ लगाते नागाओं ने संगम में डुबकी लगाई। संगम घाट पर ही नागा संन्यासियों ने अजब-गजब करतब दिखाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।