नई दिल्ली , ब्रिक्स की बैठक के दौरान मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पहली बार आमने सामने होंगे। हालांकोविड-19 के मद्देनजर कि ये बैठक वर्चुअल हो रही है। इसके बाद भी इसकी अहमियत काफी अधिक है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये बैठक लद्दाख में चीन के सैनिकों के साथ हुई भारतीय जवानों की झड़प के बाद पहली बार हो रही है। यूं भी इस वर्ष में शायद ये पहला मौका है जब वर्चुअल ही सही चीन और भारत के राष्ट्राध्यक्ष आमने सामने होंगे। हालांकि इस बैठक में लद्दाख से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं होगी।
विशेषज्ञ की राय
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बीआर दीपक का कहना है कि ब्रिक्स की बैठक में किसी भी तरह के द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं उठाया जाता है। यही वजह है कि इस बैठक में लद्दाख का मुद्दा गायब रहेगा। हालांकि ये मुमकिन है कि भारत की तरफ से पिछली बार की तरह सदस्य देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता और सीमाओं का सम्मान करने की नसीहत दी जाए। उनके मुताबिक इस दौरान शी-मोदी की बैठक में उन मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा जो इसके सदस्य देशों के बीच और साथ ही पूरी विश्व बिरादरी के सामने काफी बड़े होंगे। जैसे कोविड-19 की रोकथाम का मुद्दा इस बैठक में प्रमुखता से उठेगा और इस पर दोनों देशों के बीच विचार विमर्श भी होगा। वहीं इस संगठन के सदस्य देशों में शामिल रूस इस मामले में अपनी पहल कर चुका है। रूस का दावा है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक-5 कोरोना वायरस पर 92 फीसद तक कारगर है। वहीं इस वैक्सीन का ट्रायल कई देशों में चल रहा है और इसको जल्द ही उपयोग में लाने की भी बात रूस की तरफ से कही जा रही है। वहीं चीन और भारत की वैक्सीन का भी ट्रायल चल रहा है।