"नारी- जीवन"
नारी जीवन ही काँटे चुन
फूल सुवास से भरती है l
नारी का ही जीवन,
सुख दुःख पार उतरती हैl
जूझ के झंझावातों से,
मुश्किल आसां करती है l
नारी जीवन ही काँटे चुन,
फूल सुवास से भरती है l
'ह्रदय- गह्वर' में हर गम भर,
मुस्कान अधर पे सजाती हैl
उपवन के काँटे चुन फूल ,
गुलदस्ते में सजाती है l
सह- सह करके उपालम्भ हर,
गरिमा मंडित करती है l
नारी का ही जीवन,
सुख दुःख पार उतरती है l
लेकर प्रकृति से ही हर क्षमता,
पूर्ण स्वजीवन करती है l
धैर्य धरा से ही लेकरके,
हिय को लौह बनाती हैl
नारी -जीवन बड़ा जटिलतम,
दर्शाता है इतिहास यही l
निर्धारित जीवन को जीकर,
गाथा गौरव की लिख दीl
जीवन दान को देकर के भी,
अग्नि- परीक्षा ही देती l
नारी जीवन ही कांटे चुन,
फूल सुवास से भरती है l
रश्मि पाण्डेय बिंदकी, फतेहपुर