यजीद के जुल्म के विरोध में इमाम हुसैन ने दिया मुंह तोड़ जवाब : कारी फरीद
कर्बला की कुर्बानियां इंसानियत की हिफाजत का देतीं रहेंगी पैगाम
फतेहपुर । यौमे आशूरा (10 मोहर्रम) की बहुत फजीलत है। आशूरा के दिन ही अल्लाह तआला ने जमीन व आसमान को बनाया। इसी दिन हज़रत आदम की तौबा कुबूल हुई, हज़रत यूनुस मछली के पेट से इसी दिन बाहर आए, हज़रत इदरीस को बुलंदी मिली, हज़रत नुह की कश्ती पहाड़ पर रुकी, हज़रत अय्यूब को लंबी बीमारी से आशुरा के दिन शिफा मिली, हज़रत सुलेमान को अल्लाह तआला ने इसी रोज तख्तताज से नवाजा, हज़रत इब्राहिम कीं इसी रोज पैदाइश हुई और इसी दिन ही इमामे हुसैन की शहादत हुई।
काजी शहर कारी फरीद उद्दीन।
काज़ी शहर कारी फरीद उद्दीन कादरी ने कहा कि इस्लाम की अज़मत के लिए इमामे हुसैन ने अपने साथियों के साथ मैदाने कर्बला में अपना सब कुछ कुर्बान करके रहती दुनिया तक के इंसानों को यह पैग़ाम दिया कि उनकी जान चली जाए मगर इस्लाम व इंसानियत पर आंच न आने पाए। काज़ी शहर श्री कादरी ने कहा कि यजीद के जुल्म मानवता विरोधी कृत्यों के विरोध में नवास-ए-रसूल इमाम हुसैन ने खड़े होकर मुह तोड़ जवाब दिया और रहती दुनिया तक के लिए एक अध्याय का शुभारंभ कर दिया कि सत्य की खातिर जान की भी कोई कीमत नहीं है। जान की बाजी लगा कर इस्लाम को जिंदा कर दिया और सदैव के लिए यजीद और यजीदीयत को नेस्तनाबूत कर दिया। जब जुल्म हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो कोई उसे रोकने वाला आता है। यजीद इस्लाम के उसूलों को मिटा रहा था और हज़रत इमाम हुसैन उसको बचाने आए। उन्होंने कहा कि मजहबे इस्लाम की हिफाज़त की खातिर अहले बैत ने जो क़ुर्बानियां मैदाने कर्बला में पेश कीं वह रहती दुनिया तक इंसानियत कीं हिफाज़त का पैग़ाम देती रहेंगी। कर्बला में इमामे हुसैन ने सिर्फ इस्लाम ही नहीं बल्कि सारे इंसानियत के इमान की हिफाज़त की। जालिम का साथ न देकर इमामे हुसैन ने तमाम इंसानों को ये सबक दिया कि चाहे जान चली जाए मगर जालिम का साथ न दिया जाए।