मेरे शिक्षक , हैं गुरु मेरे,

 "मेरे शिक्षक"



मेरे शिक्षक ,  हैं गुरु मेरे, 

               सम कोटि सूर्य दैदीप्यमान  l

नभ के तारा मंडल के मध्य, 

            हैं चाँद सदृश आभायमान l

मंथर- मंथर शीतल वायु, 

             के सदृश सतत् चलायमान l

धीरज संग धरती के सदृश, 

              गंभीर सतत् हैं गतिमान l

सम सागर के अंतस्थल में l

               हैं रत्न समाहित मुल्यवान l

जीवन के समिधा वेदी पर, 

                बन कर्मवीर हैं उर्जावान l

हो दूर स्वार्थ और लोभ अनृत से, 

                 कर रहे कर्म बन धैर्यवान l

सब त्याग दिया सुख निजता को, 

              संतति हिताय बन शौर्यवान l

हे पिता मेरे! मेरी माता , 

             चरणों में तव अगणित गाथा l

जीवन में, तुम्हारा ऋण मुझपर, 

             करती हूँ तुम्हारा गौरव गान l

नत मस्तक हो रवि-  रश्मि , 

             रखेगी तुम्हारा सदा ही मान l

हे पिता मेरे  ! मेरी माता  !, 

              सम कोटि सूर्य दैदीप्यमान l

रश्मि पाण्डेय

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