नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को है समर्पित, इन मंत्रों से करें मां की स्तुति, पूजा विधि, मंत्र, आरती
अजय प्रताप।
नवरात्रि 2021: नवरात्रि के पांचवें दिन मां दिन मां स्कंदमाता का पूजन होता है।
यह नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन होता है। धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्ंकदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। माता को लाल रंग प्रिय है इसलिए इनकी आराधना में लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करना चाहिए।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कन्द बाल रूप में विराजित हैं। स्कंद मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।
ऐसे करें पूजा
सबसे पहले मां स्कंदमाता को नमन करें।
पूजा में कुमकुम,अक्षत,पुष्प,फल आदि से पूजा करें।
चंदन लगाएं, माता के सामने घी का दीपक जलाएं।
मां को केले का भोग लगाएं।
मंत्र सहित मां की आराधना करें।
मां स्कंद माता की कथा पढ़ें या सुनें
मां की आरती गाएं।
अंत में प्रसाद ब्राह्मण को दें।
स्कंदमाता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, कहते हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया और उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के पश्चात् भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया।
चैत्र नवरात्रि 2021: नवरात्रि के पांचवें दिन मां दिन मां स्कंदमाता का पूजन होता है।
माता स्कंदमाता का स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
चैत्र नवरात्रि 2021: नवरात्रि के पांचवें दिन मां दिन मां स्कंदमाता का पूजन होता है।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवा नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।
कही पहाड़ो पर हैं डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाये तेरे भगत प्यारे।
भगति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदी देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं।
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दासो को सदा बचाने आई।
'चमन' की आस पुजाने आई।