"जीवन की राह"
जीवन की हर राह,
दर्द से गुजर के जाती है l
ह्रदय की हर बात,
चेहरे पर नज़र आती है ।
मुकद्दर लिखने वाले !
अब तू ही पढ़ना सुकूं से l
हर आह से पाती,
तेरे नाम की ही लिखी जाती है।
तेरे हर शब्दों को पढा है,
ह्रदय की गहराइयों से,
तेरे दिये पलों को जियाहै,
सिद्धांतों की परछाइयों से।
सच्चाई तो यही है कि ,
तेरे ही पास आना है कभी ,
तेरे दिये हर उपकार में,
मुस्कुरा कर ही जीना है अभी ।
समझ न पायी दुनिया ,
बनाने का क्या उद्देश्य है तेरा l
हर विरोधाभास देने का,
जीवन में क्या मकसद है तेरा l
तुझे याद करके पंक्तियों में,
ख़ुद को ही गढ़ती हूं,
भावों की हर वेदना ,
तुझ पर ही मढ़ती हूं ।
हर पशोपेश में भी,
प्रश्न चिन्ह पड़ जाती है,
जीवन की हर राह दर्द से
गुजर के जाती है ।
नही पता कितनी सांसे खर्च
कितनी अभी बाकी है l
हर आह से पाती,
तेरे नाम की ही लिखी जाती हैl
जीवन की हर राह
दर्द से गुजर के जाती है l
ह्रदय की हर बात ,
चेहरे पर नज़र आती है ।
रश्मि पाण्डेय,
बिंदकी फतेहपुर