"ध्येय"
मैं जब तक जियूँ मेरा जीवन,
मैं कायरता से दूर रहूँ l
कुछ दे पाऊँ या नहीं सही,
मैं विकृतियों को दूर करूँ l
जीवन की समिधा- वेदी पर,
कुत्सित भावों का हवन करूँl
कुछ दे पाऊँ या नहीं सही,
अत्याचारों का हनन करूँ l
माना हर तरफ़ निराशा है,
मैं आशा का संचार करूँ l
हर पगदंडी को सिंचित कर,
मैं पग - पग में रसधार भरूँ l
मैं लिखूँ सदा निजता हेतु,
मैं आडम्बर से दूर रहूँ l
कुछ दे पाऊँ या नहीं सही,
मैं आत्म -तत्व विस्तार करूँl
मैं जब तक जियूँ मेरा जीवन,
मैं कायरता से दूर रहूँ l
जीवन की समिधा वेदी पर ,
. कुत्सित भावों का हवन करूँl
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी, फतेहपुर