साजिशें हों चाहे जितनी,

 "आह्वाहन" 


साजिशें हों चाहे जितनी, 


                   कभी जीवन में न डरना l

कभी भी हार के भय से, 

                     नहीं पीछे कदम रखना l

अगर तुम सत्य के पथ हो, 

                     सदा शिव साथ तेरे हैं l

भले होवे जहाँ दुश्मन, 

               प्रबल तुम आत्मबल रखना l

कोई हो जंग जीवन की, 

               अकेले सर्वदा लड़ना l

कभी भी कायरों से तुम, 

                 कोई उम्मीद न करना l

अंधेरा छा रहा जग में, 

                  अंधेरे को मिटा देना l

कोई हो साथ या न हो, 

                     अंधेरे को भगा देना l

बड़े संघर्ष होते हैं, 

                   कर्म के पथ पर चलने में l

कभी डरकर अंधेरे से, 

                   नहीं ख़ुद को बदल देना l

रश्मि पाण्डेय

बिंदकी, फतेहपुर l

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