बैलगाड़ियों की आड़ में लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगा बालू के अवैध व्यापारी
संवाददाता बाँदा- जिले के तिंदवारी थाना के बेंदा चौकी क्षेत्रान्तर्गत बेंदा और अमलीकौर के रकबे में यमुना नदी पर बालू का जमकर अवैध खनन किया जा रहा है। सूरज ढलते ही दर्जनों की तादाद में ट्रैक्टर यमुना नदी से बालू ढोने में जुट जाते हैं। बालू को गांव व मजरों में डंप कर ट्रकों को बेची जाती है।
बालू के अवैध कारनामें को बैलगाड़ियों की आड़ में किया जा रहा है। दरसल बैल गाड़ियों को यमुना नदी से बालू निकालकर बेचने में रोक नही है, बैलगाड़ी मालिक दिन में नदी से बालू निकाल गांव के किनारे एकत्र कर ट्रैक्टरों को बेचते हैं। इसी को अपनी ढाल बनाकर दर्जनों ट्रैक्टर रात के अंधेरे में नदी से बालू निकाल कर गांवों व मजरों में डंप कर ट्रकों और ट्रैक्टरों को बेचते हैं। यही से बालू भरे ओवरलोड ट्रक बेरोकटोक गुजरते हैं। लाखों रुपये राजस्व का चूना लगा रात में बालू का अवैध व्यापार होता है। बेंदा चौकी क्षेत्र में बालू के अवैध खनन का व्यापार कोई नया नही है, यह हमेशा होता रहता है।
नाम न खोलने की शर्तें पर ग्रामीण बताते हैं कि पुलिस रात में कभी नही आती है, दिन में अगर पुलिस आई भी तो उन ट्रेक्टरों को पकड़ती है, जिनकी एंट्री नही होती है। यमुना नदी से रात के अंधेरे में बालू ले जाने वाले ट्रैक्टर आबाद रहते हैं, उन पर कभी कोई कार्यवाही नही होती है।
यह भी बात सामने आई कि बालू के अवैध खनन का कारोबार कुछ स्थानीय पहुँच रखने वाले नेताओं व दबंगों द्वारा किया जाता है। जब मीडिया टीम ने यमुना नदी में हो रहे बालू खनन का स्थलीय पड़ताल किया तो पाया कि रात में बालू ढोने वाले ट्रेक्टरों के पहियों के निशान साफ नजर आ रहे थे। दिन में बैल गाड़ियों में बालू भर रहे ग्रामीणों ने तो कुछ चौकाने वाले तथ्य भी मीडिया को बताए।
पुलिस और स्थानीय दबंगों की सांठगांठ के बलबूते यमुना नदी में बालू का अवैध कारोबार हमेशा फलता फूलता रहा है।
सौ बात की एक बात यह है कि इस क्षेत्र में बालू के अवैध खनन का कारोबार तो हमेशा से होता चला आ रहा है, इसे रोकना पुलिस और खनिज विभाग के बस की बात भी नहीं है, लेकिन अगर पुलिस और खनिज विभाग मिलकर किसी व्यवस्था के तहत बालू खनन करवाये तो सरकार को लाखों रुपये का राजस्व हर माह प्राप्त हो सकता है।