छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़: वाराणसी में ब्लैक लिस्टेड होने के बावजूद सड़कों पर बैखौफ दौड़ रहे स्कूली वाहन

 छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़: वाराणसी में ब्लैक लिस्टेड होने के बावजूद सड़कों पर बैखौफ दौड़ रहे स्कूली वाहन



न्यूज़।परिवहन विभाग की शह पर स्कूल प्रबंधन पीले रंग की आड़ में अनफिट और खटारा वाहनों के जरिए बच्चों को ढो रहे हैं। करीब 400 स्कूली वाहन ब्लैक लिस्टेड होने के बावजूद सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं और परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीम बेखबर है।. जिले भर में 237 स्कूलों की 2,538 बसें पंजीकृत हैं और इसमें 229 बसों की फिटनेस नहीं हो पाई है। इसके अलावा 117 बसें अपनी 15 वर्ष की उम्र पूरी कर चुकी हैं और इसके बावजूद वह स्कूलों में बच्चों को लेकर सड़क पर दौड़ रही हैं। दरअसल, वाराणसी में अभिभावकों से मोटी फीस वसूलने के बाद भी स्कूल संचालक गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। वे अनफिट स्कूली वाहनों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। ऐसे में घर से स्कूल और स्कूल से घर तक बच्चे आशंका के बीच सफर तय करने को मजबूर हैं।

जिले में कुल 177 सीबीएसई और 60 माध्यमिक स्कूलों के वाहन परिवहन विभाग में पंजीकृत हैं। इनमें मिनी बस, बस व टैक्सी आदि गाड़ियां शामिल हैं। बीते दो वर्षों में कोरोना महामारी के बीच स्कूल बंद होने से 229 वाहनों की फिटनेंस की वैद्यता समाप्त हो गई है। नए सत्र में सभी स्कूल फिर पूरी क्षमता के साथ संचालित किए जा रहे हैं लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उक्त वाहनों का फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं लिया है।

यहां बता दें कि बीते दिनों गाजियाबाद में हुए स्कूल बस हादसे के बाद भी वाराणसी के स्कूल प्रबंधन कोई सबक लेने को तैयार नहीं हैं। उधर, अपर मुख्य सचिव गृह के निर्देश के बाद परिवहन विभाग अनफिट वाहनों के संबंध में कई स्कूलों के प्रबंधन को नोटिस भेजा है। चेतावनी दी गई कि यदि शीघ्र ही इन वाहनों का फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं लिया तो इन वाहनों को सीज करके कठोर कार्रवाई की जाएगी।

ज्यादातर स्कूलों में मनमानी, निगरानी करने वाला कोई नहीं वाराणसी के ज्यादातर स्कूलों में प्रबंधन मनमानी करते हुए वाहनों में निर्धारित सीट से ज्यादा बच्चों को बैठाते हैं। आधे से ज्यादा बच्चे बैठने की बजाय खड़े रहते हैं। इसके अलावा स्कूली बच्चों के लिए प्रतिबंधित आटो, मैजिक, विक्रम समेत अन्य छोटे वाहनों में स्कूली बच्चों को ढोया जा रहा है।

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