सबको गिनती की सांसें मिली हैं, सबसे ज्यादा भोग-विलास में होती है खर्च

 सबको गिनती की सांसें मिली हैं, सबसे ज्यादा भोग-विलास में होती है खर्च



अगर मनुष्य शरीर पाने की कीमत नहीं समझोगे तो लौट-लौट कर चौरासी लाख योनियों में आना पड़ेगा



रतलाम (मध्य प्रदेश)।जीवात्मा को बार-बार जन्मने और मरने की पीड़ा और चक्कर से छुड़ाने का उपाय नामदान देने के इस समय एकमात्र अधिकारी, परम दयालु, असीमित शक्ति रखने वाले, पल-पल अपने अपनाए हुए जीवों की बाहर-भीतर से संभाल करने वाले, आने वाले बुरे समय से लोगों की जान बचाने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम करने वाले इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 12 अप्रैल 2022 को रतलाम (म.प्र.) में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि यह संसार भवकूप है। जब तक इसको छोड़ करके निकलोगे नहीं इसी में जन्म लेना और मरना रहता है। यह काल का देश है। काल गाल फैलाए हुए बैठा है कि जैसे ही सांसो की पूंजी खत्म हो बस इनको हम अपने चपेट में ले ले।


*बैठे बारह, चले अठारह, सोवे से छत्तीस।* *रतिक्रिया से दूनी हो गई, कह गए कवि जगदीश।।*


हर इंसान को सांसें गिन करके खर्च करने के लिए मिली है। अब यह जरूर है कि कोई ज्यादा कोई कम दिन जिंदा तक रहता है। कोई अपने सांस को सही ढंग से खर्च करता है वह ज्यादा दिन तक जिंदा रहता है। जो सांसो को ज्यादा खर्च करता है जल्दी खत्म हो जाता है। सांसो का भी बताया गया कि बैठने से कम, बारह खर्च होता है। चलने से अट्ठारह। सोने से छत्तीस। और रतिक्रिया से दुगुनी खर्च होती है। भोग-विलास में बहुत ज्यादा सांस खर्च होते हैं। तो खर्च सबका होता है। जैसे ही खर्च होगा तैसे ही अपने गाल में यह काल ले लेगा फिर जन्मायेगा फिर मारेगा, यही करेगा।


*चेतोगे नहीं तो लौट-लौट करके इसी चौरासी लाख योनियों में आना पड़ेगा, तकलीफें झेलनी पड़ेगी*


आप चेतोगे-समझोगे नहीं कि किसलिए मनुष्य शरीर मिला है। ये खाने-पीने मौज मस्ती के लिए मिला या किसी और काम के लिए मिला। अगर समझोगे नहीं तो लौट -लौट करके इसी चौरासी लाख योनियों में आना पड़ेगा, तकलीफ झेलनी पड़ेगी।


*चौरासी लाख योनियां क्या है*


यही बैल, गाय, भैंस, सूअर, गधा की योनि, पशु-पक्षी, जलचर, नभचर, थलचर यानी जो जमीन पर चलने वाले हैं उनकी योनि, जो पानी में रहते हैं उनकी योनि, आकाश में रहते हैं उनकी योनि में जाना पड़ेगा, चौरासी लाख योनियों में आना पड़ेगा।


*काल गाल फैलाए बैठा हुआ है, सांसों की पूंजी खत्म होते ही अपने गाल में ले लेगा*


आप को समझने की जरूरत है कि काल गाल फैलाए हुए बैठा है। इंतजार कर रहा है कि जैसे ही इनका समय पूरा हो, सांसों की पूंजी खत्म हो, हम इनको अपनी चपेट में ले ले। इसलिए बचाव का उपाय करो।


*सन्त उमाकान्त जी के वचन*


खुद भी बचो और दूसरों को बचाओ, परोपकार करके पुण्य कमाओ। आत्मा को मुक्ति  मोक्ष दिलाने के लिए सच्चे महात्मा के पास जाना ही चाहिए। कर्मों की सजा से आज तक कोई बच नहीं पाया इसलिए अच्छे कर्म करो। याद रखो! जबान के स्वाद के लिए जानवरों को काटोगे, धरती पर खून बहेगा, चमड़ी सड़ेगी, हवा-पानी गंदा होगा तब जान बचना मुश्किल हो जाएगा। गाय के पास रहने, पालने व इनका मूत्र व गोबर बराबर साफ करते रहने से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता आने लगती है।

सन्त उमाकान्त जी का सतसंग प्रतिदिन प्रातः 8:40 से 9:15 तक (कुछ समय के लिए) साधना भक्ति टीवी चैनल और अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित होता है।

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