संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत किसानों को दी गई जानकारी
फतेहपुर।जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर0पी0 कुशवाहा ने बताया कि शासन द्वारा विगत वर्ष की भांति वर्ष 2022 में भी संचारी रोग नियंत्रण अभियान दिनांक 02.04-2022 से 30 04-2022 तक चलाया जा रहा है। संचारी रोग जे०ई0 (जापानी इसेफेलाइटिस) एवं ए0ई0एस0 (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के फैलने में चूहा एवं छछूंदर की भूमिका महत्वपूर्ण है, चूहा एवं छछूंदर के शरीर पर पाये जाने वाले चिगर्स के काटने से स्क्रब टाइफस नामक बीमारी फैलती है । अतः इनको नियंत्रण करना अति आवश्यक है जिससे संचारी रोगों को फैलने से रोका जा सके । इसके लिए विकास खण्ड स्तर पर उक्त कार्यकाम की सफलता हेतु प्रत्येक न्याय पंचायत पर कृषकों को जागरूक करने के लिए क्षेत्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है ।
निम्नलिखित उपाय अपनाकर चूहों का नियंत्रण किया जा सकता है।चूहों की संख्या को नियन्त्रण करने के लिए अन्न भण्डारण पक्की,कंर्किट, तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिए ताकि उनको भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो सके ।
चूहे अपना बिल झाड़ियों कूडो एवं मैड़ों आदि में स्थायी रूप से बनाते है खेतों का समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ-सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है ।
चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली, सॉप, उल्लू, लोमंडी, बाज एवं चमगादड आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनको संरक्षण देने से चूहों की संख्या नियन्त्रित हो सकती है।चूहेदानी का प्रयोग करके उसमे आकर्षक चारा जैसे- डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फंसाकर मार देने से इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है ।घरों में बमोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखने से चूहे उसको खाकर मर जाते हैं ।एल्यूमिनियम फॉस्फाइड की दवा 3-4 ग्राम प्रति जिन्दा बिल में डालकर बन्द कर देने से उससे निकलने वाली फॉरफीन गैस से हे मर जाते है ।
चूहा बहुत चालाक प्राणी है इसको ध्यान में रखते हुए छः दिवसीय योजना बनाकर इसको आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रथम दिवस-आवासीय घरों एवं आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण एवं बिलों को बन्द करते हुए चिन्हित करें।
द्वितीय दिवस- निरीक्षण कर जो बिल बन्द हो वहाँ पर चिन्ह मिटा दे जहाँ पर बिल खुले पाये यहाँ चिन्ह रहने दें, तथा खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल 48 भाग भुने दाने का चारा बिना जहर मिलाये बिल में रखें।तृतीय दिवस -बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखें ।
चतुर्थ दिवस-जिंकफास्फाइड 80 प्रति0 की 1 ग्राम मात्रा 1 ग्राम सरसों का तेल 48 ग्राम भूने दाने में बनाये गये चारे को बिल में रखे ।
पंचम दिवस-बिलों का निरीक्षण करे एवं मरे हुए चूहों को एकत्र कर आबादी से दूर जमीन में गाड़ दें ।
छठ दिवस -बिल को पुनः बन्द करें तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाय तो उपरोक्त कार्यकस पुनः अपनाये।