बेटियों को पढ़ाने के लिए करना होगा लोगों को जागरूक:अंजली

 *बेटियों को पढ़ाने के लिए करना होगा लोगों को जागरूक:अंजली



बिंदकी।सरकारी स्कूल डॉट इन द्वारा आयोजित सम्मेलन में शामिल हुए देशभर से 25 वक्ता, फ़तेहपुर  के सरकारी प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,देवमई की 5वीं की छात्रा अंजली थी मुख्य अतिथि

“बेटियां जब पढ़ेगी तभी सशक्त बनेगी. इसलिए बेटियों को पढ़ना चाहिए. मेरी माँ कहती है कि टीचर बनो लेकिन मै डॉक्टर बनना चाहती हूँ क्योंकि मेरे गाँव में शिक्षक अच्छे अच्छे आने लगे है, लेकिन डॉक्टर नही है. इसकी वजह से लोगों को दूर जाना पड़ता है और इससे अनहोनी हो जाती है. इसलिए मुझे डॉक्टर बनकर गाँव की रक्षा करनी है. मै चाहती हूँ कि जो गरीब है, उन्हें जागरूक करें ताकि वे अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए भेजे.”

उपरोक्त बातें कक्षा-5 में पढ़ने वाली अंजली ने बतौर मुख्य अतिथि प्रोजेक्ट गुड़िया, सरकारी स्कूल डॉट इन, वी सिटीजन्स फाउंडेशन व एनएसएस, श्री गुरु गोविंद सिंह कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा “इन्स्पायीरिंग टू एडूकेट” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कही. बेटियों को शिक्षा से जुड़े इस सम्मेलन में दो सरकारी स्कूल के विद्यार्थी व शिक्षक मुख्य अतिथि रुप के शामिल हुए थे ताकि उनसे बाकियों को प्रेरणा मिल सके. 7 अलग अलग सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में समाज-जीवन के विविध क्षेत्रों में प्रेरक कार्य करने वाले 25 अतिथियों को आमंत्रित किया गया था, साथ ही 10 लेखक भी शामिल हुए थे, जिनके लेख उत्कृष्ट श्रेणी में चयनित हुए थे.

अंजली ने बेटियों की शिक्षा की अहमियत बताते हुए कहा कि बेटियों को पढ़ाने के लिए हमें लोगों को जागरूक करना चाहिए. मै खुद गाँव में घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करती हूँ. मेरे गाँव में एक लड़की भट्टे पर काम करती थी, तो मैंने उनकी माँ से कहा कि क्या आपकी तरह वह भी भट्टे में काम करेगी तो मेरी बात उनको अच्छी लगी, वे मान गए और अपनी बेटी को भेजने लगे।

अंजली ने बताया कि उसे स्कूल जाना अच्छा लगता है, जहाँ खेल-खेल में पढ़ने को मिलता है. एक्टिंग करना पसंद है और इस काम में मुझे मेरे शिक्षक काफी मदद करते है। 

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में शामिल हुए शिक्षिका सौम्या सिंह ने कहा कि हमें बिना किसी भेदभाव के बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए. जेंडर आधारित भेदभाव से बालिका शिक्षा सबसे अधिक प्रभावित होती है हमें बेटियों को बाहर की दुनिया दिखानी जरुरी है। बेटियों की शिक्षा के सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करते हुए सौम्या ने कहा कि बेटियों को पढ़ने के लिए अधिक मेहनत करने के लिए तैयार करना होगा। हमें उन्हें रोजगार परक शिक्षा के लिए भी  तैयार करना होगा।हमें लगातार ऐसी सोच के साथ काम करना होगा, जहाँ माता-पिता बेटियों को जीतते हुए देखे, उसे आगे बढ़ते हुए देख पाए. 

कार्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर फतेहपुर की  सहायक अध्यापिका आराधना भी बतौर अतिथि वक्ता शामिल थी,जिन्होंने अपने विद्यालय में बालिका शिक्षा  हेतु किए जा रहे कार्यों को विस्तार से बताया।कार्यक्रम का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा विष्णुप्रिया ने किया।कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रेरणा ने किया, वही इस अवसर पर आयोजक मंडली से रुतुजा,  वैष्णवी, आभा आदि मौजूद थे।

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