जिला उद्योग व्यापार मंडल बांदा के द्वारा प्रधानमंत्री / वित्तमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा,
बांदा/ आज दिनाँक 14/07/2022 को द्वारा जिलाधिकारी, बाँदा प्रधानमंत्री भारत सरकार के साथ वित्त मंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि जी०एस०टी० काउंसिल की 47 वीं बैठक में सभी प्रकार के अनब्रांडेड, प्रीपैक्स, प्रीलेविल अनाज,अरहर दाल, गेहूँ, चना, मुरमुरे, आर्गेनिक गुड़, आटा जैसी आवश्यक उपयोग में आने वाली आवश्यक वस्तुओं पर 5 प्रतिशत कर मण्डी समिति में खड़े अनाजों पर फूड लाइसेंस की अनिवार्यता को वापिस लिये जाने एवं वेयर हाउस में रखे जाने वाले कृषि उत्पाद एवं रु० 1000/- तक होटल के
कमरों पर प्रस्तावित 12 प्रतिशत जी.एस.टी. व अस्पतालों पर 5000 से अधिक के बेड पर लगाये गए 5 प्रतिशत अतिरिक्त कर को वापिस लिए जाने के सम्बन्ध में ।
देश में 01 जुलाई 2017 से एक देश एक टैक्स के नाम पर जी०एस०टी० को लाया गया था। जिसमें अभी तक हुई जी०एस०टी० काउंसिल की 47 बैठकों में 1200 से अधिक संशोधन किए जा चुके है। जिससे सरलता आने के बजाय दिन प्रतिदिन कठिनाइयाँ बढ़ती जा रही है। जिससे व्यापारियों एवं कर अधिवक्ताओं को अत्यन्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मण्डल निरन्तर मांग करता आया है कि ब्राण्डेड जो खाद्य वस्तुएं हैं उनको भी जीएसटी की शून्य की श्रेणी में लाया जाना चाहिये। व्यापार मण्डल ने कभी राष्ट्रीय स्तर की कम्पनियों के ब्राण्ड की वकालत नहीं की। परन्तु जो छोटे-छोटे व्यापारी, उद्योग अपने गांव-कस्बे में अपनी वस्तुओं पर ब्राण्ड
लगाकर विक्रय करते हैं। उनको जीएसटी की शून्य श्रेणी में लाने के लिये निवेदन करते रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी आपने स्वयं कहा था कि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं
लगाया जायेगा। जीएसटी काउंसिल ने एफएसएसएआई एक्ट का हवाला देकर लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के अनुसार सभी खाद्य वस्तुएं पैकिंग होकर और प्रोपर लेबल लगाकर ही बिकेगी। चाहे वह मण्डी में बिकने वाला गेहूं, धान, दलहन, तिलहन, मसाले एवं कोई भी सामान हो । तिलहन एवं मसाले पहले ही जीएसटी की प्रतिशत के दायरे में आये हुए हैं तथा चावल मिल का चावल पैक और लेबल लगकर बिकेगा। इसी तरह आटा मिल का आटा, दाल मिल की दाल पैक एवं लेबल लगकर बिकेगा और उन पर जीएसटी 18 जुलाई 2022 से लगा दिया जायेगा ।मण्डी में किसान अपनी कृषि जिंस लेकर आता है और ढेर लगा कर अपनी कृषि जिंस को बेचता है।
व्यापारी इसको बैग में भरता है, और इस पर लेबल लगाकर प्रदर्शित करता है कि इसमें कौन सी क्वालिटी की जिंस है। तो यह पैक भी हो गया और इस पर लेबल भी लग गया। जीएसटी काउंसिल की 28-29 जून की
बैठक की अनुशंषा के अनुसार 18 जुलाई 2022 से जीएसटी के दायरे में आ जायेंगे।
बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ब्राण्ड चलाने के लिये हर खाद्य वस्तु को ब्राण्डेड की श्रेणी में लेने व जीएसटी के दायरे में लेने के लिये केन्द्र सरकार और जीएसटी काउंसिल के सदस्यों पर निरंतर दबाव डालते रहे हैं। 80 करोड़ लोगों को भारत सरकार खाद्य वस्तुएं उपलब्ध कराकर उनकी समस्या दूर करती
है। परन्तु भारत का 55 करोड़ मध्यमवर्गीय उपभोक्ता जिसमें छोटे-छोटे ट्रेड व उद्योग भी शामिल है। स्वरोजगार के माध्यम से ही अपने सूक्ष्म आय के स्रोतों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की व्यवस्था करता है। खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाना इनके हितों पर कुठाराघात होगा। आज भारत में ऑनलाइन व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। ऑनलाइन कम्पनियां उपभोक्ता को डिस्काउन्ट की लालच देती है। व्यापारियों का व्यापार सिमटता जा रहा है, लाखों व्यापारी बेरोजगार हो चुके हैं। वेयर हाउस में रखे जाने वाले कृषि उत्पाद, मूंगफली, नारियल, मसालें, काटन आदि वस्तुएं जो अभी
तक कर मुक्त के दायरे में थी इनको भी जी.एस.टी. के दायरे में लाया गया है। उन्हें पूर्ण की भांति कर मुक्त की श्रेणी में रखा जायें ।
होटल में रू० 1000/- तक के कमरों पर जी. एस. टी. काउंसिल द्वारा 12 प्रतिशत की दर से जी. एस. टी. लेने का निर्णय लिया गया है जिससे कमजोर और मध्यवर्गीय तथा नौकरी पेशा लोगों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा इसे कर मुक्त रखा जाये ।
जी. एस. टी. में विक्रेता की गलती का खामियाजा क्रेता व्यापारी को कर का भुगतान करने के बाद भी उठाना पड़ता है और रिवर्स चार्ज द्वारा कर का भुगतान करना पड़ता है । जी. एस. टी. काउंसिल अभी तक
जी. एस. टी. विवादों के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल बैन्चों की स्थापना नहीं की गयी। जिस कारण से न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। जिस कारण अनावश्यक व्यय एवं समय लगता है। अतः देश में शीघ्र ही ट्रिब्यूनल बैन्चों की स्थापना की जायें ।
आपसे विनम्र निवेदन है कि गेहूं, आटा, दाल, चावल, मुरमुरे, दूध, दही, छांछ एवं गुड़ जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जी.एस.टी. नहीं लगने दें। दिनांक 28-29 जून की 47वीं जी.एस.टी. काउंसिल की मीटिंग में भारत सरकार को आवश्यक वस्तुओं पर पैकेजिंग एवं लेबलिंग के नाम पर लगाये जाने वाले कर (जीएसटी) की अनुशंषा को निरस्त करवाने की कृपा करेंगे ।