ब्रिटिश हुकूमत कि कोठी विरान,अराजकतत्वो का डेरा

 ब्रिटिश हुकूमत कि कोठी विरान,अराजकतत्वो का डेरा



कल्याणपुर(फतेहपुर)।मलवा विकासखंड के चलाला गांव में स्थित समर्पित स्वतन्त्रता संग्राम में  प्राणाहुति देने वाले शहीदों की मजारों पर लगेगें हर वरष मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा !

जी हाँ ऐसी ही एक इमारत को बचाने के लिये मानव समाज को बीडा उठाने की आवश्यकता है।  जहाँ आज भी बलिपथ पर चलने वालों के साथ किये गये जुल्मों की गाथा  इलाकाई वाशिन्दों के द्वारा सुनने को मिलती है ।और पीढी दर पीढी मिलती रहेगी !

इन कारा की दिवारों में ,

बलिपथिकों की तस्वीरें हैं!

हर साल परतदर परत पोत ,

चाहे जितना धूमिल कर लों

यह अमिट ,अमर जाँबाजों ,

के हाथों से लिखी लकीरें हैं

एेसी ही एक कोठी की दास्ताँ जिसेके लिये जबावदेह अधिकारियों से गुहार लगायी है !

फतेहपुर जनपद मेंनहर विभाग, भारत जैसे कृषिप्रधान देश के प्रशासन में विशेष स्थान रखता हैं। सिंचाई नहरों में देश की वह अमूल्य निधि बहती है। जिसके ऊपर कृषि उत्पादन बड़ी मात्रा में निर्भर करता है। नहरों के संचालन के लिए विशेष कानून बने हुए हैं। जिनके अंतर्गत नहर विभाग अपना कार्य चलाते हैं। जलाला में अंग्रेजी हुकूमत की बनी कोठी आज वीरान पड़ी है।जलाला में अंग्रेजी हुकूमत की नहर कोठी पर किसी जमाने में अंग्रेजों के घोड़ों की टापों की आवाज सुनाई देती थी । यह कोठी ए क्लास की कहलाती थी। इंग्लैंड से अंग्रेजी शासन का कोई बड़ा ओहदेदार आता था तो उसे इसी कोठी में विश्राम कराया जाता था। अंग्रेजों के जाने के बाद विभागीय अफसरों की अनदेखी के कारण क्षेत्र की यह ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे खण्डहर में तब्दील होती गई । आज यहां पर केवल पुरानी यादें ही बाकी बची हैं। अंग्रेजी हुकूमत में गांव से 200 मीटर की दूरी पर एनएच 46 के निकट अंग्रेजों ने कोठी का निर्माण किया था।  इस कोठी पर क्षेत्र के कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व देश की जंग-ए-आजादी में कूदने वाले लोगों को कोड़ों से पीटा ही नहीं गया, बल्कि उन्हें तमाम तरह की यातनाएं दी गईं। नहर कोठी रखरखाव के अभाव में अपने अस्तित्व को खो रही है ।शासन द्वारा नहर के किनारे बनी अन्य कोठियों का उपयोग किया जा रहा है।  यह नहर कोठी जनपद की अन्य पुलों पर बनी नहर कोठियों से आज भी बेहतर है। अब यह कोठी अराजक तत्वों का केंद्र बन गयी हैं ।क्षेत्रीय ग्रमीण लोगों के अनुसार यहां सेना की भर्ती भी हुआ करती थी। सही तरह से रखरखाव न होने के कारण हालत जर्जर हो चुकी है।ब्रिटिश शासन काल में लाखों से बनवायी गयी नहर विभाग की कोठी उपेक्षा के चलते खंडहर हो गई। असामाजिक तत्व कीमती सामान भी ले गये। लगभग छ:एकड भूमि पर नहर कोठी बनवायी गयी थी।  परिसर में आम, शीशम, जामुन, नीम, सेमर, बबूल, शहतूत, बेल, कटहल, सागौन आदि के पेड़ लगाये थे। देखरेख के अभाव में बीस वर्षो से कोठी का यह भवन बदहाली का शिकार है।दीवारों व छतों पर दरारें पड़ गयी है। अराजक तत्व भवन में लगे कीमती खिड़कियां व दरवाजे उखाड़कर घरों को ले गये है। वर्तमान समय में इस कोठी में रहने के लिये नहर विभाग के बेलदारों के लिये सात कमरे, तार घर, जेई, सिंचाई, अमीन, अधिशासी, जिलेदार आवास सहित बीस कमरे हैं। इनमें मात्र कुछ कमरे ही अच्छी हालत में हैं।दूर दूर स्थापित इस कैम्पस मे घोडो के लिए अस्तबल भी था जो आज पूरी तरह ग़ायब है।सुनील उत्तम, संतोष भदौरिया, रणविजय सिंह,राजन तिवारी, शिवम सिंह ,रामचन्द्र सैनी ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने कि गुहार  मुख्यमंत्री पोर्टल में की है। कुल मिलाकर नहर विभाग की कोठी अपनी 

बदहाली के आंसू बहा रही है।

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