मौसम पूर्वानुमान ( वैधता: दिनांक 07 अक्टूबर, 2023 से 11 अक्टूबर, 2023 तक)
मौसम पूर्वानुमान ( वैधता: दिनांक 07 अक्टूबर, 2023 से 11 अक्टूबर, 2023 तक)
भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार आगामी 5 दिनों में फतेहपुर जिले में मौसम साफ़ रहेगा, जिसके कारण  वर्षा होने की कोई संभावना नहीं रहेगी। अधिकतम तापमान 35.0 से 38.0 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहेगा जबकि न्यूनतम तापमान 21.0 से 22.0 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहेगा। हवा की दिशा अधिकतर उत्तर-पश्चिमी से दक्षिण पश्चिमी रहेगी और हवा की गति सामान्य बने रहने की संभावना हैं।

किसानों को सलाह है कि खरीफ की खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। खाली खेतों में रबी की फसल जैसे तोरिया, आलू, चना, मटर और मसूर आदि की बुआई के लिए खेत तैयार करें. पशुओं को सुबह-शाम नहलाएं, छायादार स्थान पर रखें तथा 3-4 बार पानी पिलाएं। कीटनाशकों, शाकनाशियों और खरपतवारनाशकों के लिए, उपकरणों को धोने के लिए केवल साफ पानी का उपयोग करें और हवा की विपरीत दिशा में खड़े होकर कीटनाशकों, कीटनाशकों और खरपतवारनाशकों का छिड़काव न करें। छिड़काव शाम को करना चाहिए; यदि संभव हो तो छिड़काव के बाद, खाने से पहले और कपड़े धोने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।

फ़सल संबंधित सलाह

•वर्तमान मौसम कीटों के लिए अनुकूल है, इसलिए धान की फसल में फूल आने के बाद औसतन 2-3 गंधी कीट/हिल दिखाई देते हैं, तो इसके नियंत्रण के लिए इमिडाकोलोरोप्रिड 17. 8% एसएल 350 मिली/हेक्टेयर या बुरफोजिन 25% एसपी 750 ml/हेक्टेयर की दर से 500 -600 लीटर पानी में घोल बनाकर मौसम साफ होने पर छिड़काव करें। यदि धान की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप दिखे तो इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 ई.सी. 25 ग्राम/हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर साफ मौसम में छिड़काव करें।

•मूंगफली की फसल में सफेद गिडार/दीमक कीट का प्रकोप होने की संभावना है, इसलिए आसमान साफ रहने पर फिप्रोनिल 0.3% जीआर 20 किग्रा/हेक्टेयर की दर से टॉपड्रेसिंग करें। 

•तोरिया की अनुशंसित प्रजातियाँ - टा-9, भवानी, पीटी303 आदि में से किसी एक प्रजाति की बुआई हेतु वर्षा न होने की स्थिति में 3-4 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर की दर से उर्वरक एवं बीज की व्यवस्था कर बुआई कार्य करें।

•तिल की फसल में पत्ती एवं फल की इल्ली का प्रकोप दिखने की सम्भावना रहती है अत: इसकी रोकथाम के लिए साइपरमेथ्रिन 25% EC का प्रयोग करें। 0.5 लीटर/हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी का घोल बनाकर मौसम साफ होने पर छिड़काव करें।

•उर्द एवं मूंग की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप होने की संभावना रहती है अत: इसकी रोकथाम के लिए नीम निबोली 5 प्रतिशत या क्यूनालफॉस 25 ईसी 1.25 लीटर/हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी साफ मौसम में घोलकर छिड़काव करें।

•टमाटर, प्याज, फूलगोभी और पत्तागोभी की नर्सरी डालें और तैयार पौधों को मेड़ों पर रोपें। यदि सब्जी की फसलों में फल छेदक/पत्ती छेदक कीट का प्रकोप दिखाई दे तो इसके नियंत्रण के लिए नीम के तेल को 1.5 मिली/लीटर पानी में घोल बनाकर 8-10 दिन के अंतराल पर 3-4 छिड़काव करें। सब्जी मटर, मूली, गाजर, सौंफ, अजवाइन, चुकंदर, लहसुन, धनिया, पालक, सोया और मेथी की बुआई शुरू करें। आलू की बुआई के लिए खेत तैयार करें.

*पशुपलन*

•किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को साफ-सुथरी जगह पर रखें और मक्खी-मच्छर से बचाव के लिए पशुओं को धुआं दें। पशुओं को हरे व सूखे चारे के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें। पशुओं के पेट में कीड़ों की रोकथाम के लिए औषधि देने का सबसे अच्छा समय है। पशुओं को गलाघोंटू एवं लंगड़िया बुखार का टीका लगवाएं। पशुओं को दिन में 3-4 बार साफ एवं ताजा पानी अवश्य पिलायें। पशुओं को दिन में दो से तीन बार नहलाएं। दिन के समय पशुओं को छाया में बांधें तथा पशुओं को पेड़ के नीचे न बांधें। क्योंकि इस सप्ताह हवा की तेज गति के कारण पेड़ों/वृक्षों की टहनियों के गिरने की संभावना अधिक है।

वसीम खान 
विषय वस्तु विशेषज्ञ
कृषि मौसम विज्ञान
कृषि विज्ञान केंद्र, फतेहपुर
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