ब्रह्माण्ड ज्ञाता महर्षि बाल्मीकि जी की जन्म जंयती पर फतेहपुर प्रेस क्लब परिवार की तरफ़ से उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन
ब्रह्माण्ड ज्ञाता महर्षि बाल्मीकि जी की जन्म जंयती पर फतेहपुर प्रेस क्लब परिवार की तरफ़ से उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन
भारत वर्ष में आज महर्षि बाल्मीकि जी की जन्म जंयती धूम-धाम से मनाई जा रही है। महर्षि बाल्मीकि महाराज जी के बारे में कहा जाता है कि वे ब्राम्भांड ज्ञाता थे। महर्षि भूतकाल,भविष्य काल और वर्तमान काल के जानकार थे। भविष्य काल को देखते हुए ही उन्होंने संस्कृत में प्रभु श्रीराम के जन्म के पहले ही श्लोक में रामायण महाग्रंथ की रचना कर दी थी, जिसे बाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है। लेखो के अनुसार कहा जाता है कि महर्षि जी एक बहुत बडे डाकू थे। एक बार महर्षि जी ने सप्तृषितो को पकड़ लिया और कहा कि जो कुछ तुम्हारे पास हों दे दो। सप्तृषितो के कहने पर महर्षि जी ने सभी को एक पेड़ पर बांध दिया और घर जाकर पूछा कि क्या मैं जो अपराध करता हूं, क्या आप लोग भी इस पाप के भागीदार बनोगे तों परिजनों ने जवाब दिया कि जो जैसा करेगा उसका फल वही भोगेगा। यही से बाल्मीकि जी की आंखे खुली और वह प्रभु के ध्यान में लीन हो गए। कहा जाता है कि महर्षि जी के शरीर में चींटियो ने घर बना लिया था। ऐसे महर्षि जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन- वंदन है...*
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