भ्रातृ प्रेम ही परिवार की दृढता का आधार है- आचार्य शांतनु जी महाराज

 भ्रातृ प्रेम ही परिवार की दृढता का आधार है- आचार्य शांतनु जी महाराज 



संवेदना सेवा न्यास द्वारा आयोजित श्रीराम कथा रूपी सरोवर में डुबकी लगा रहे श्रद्धालु 


फतेहपुर। संवेदना सेवा न्यास द्वारा आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव में भक्तों का गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। रामचरित मानस रूपी सरोवर में डुबकी लगा रहे श्रद्धालु पूरी तरह राममय हो गये है। आचार्य शांतनु जी महाराज ने प्रभु श्रीराम जन्म का वर्णन किया और उनके शिक्षा दीक्षा की कथा सुनाते हुये भक्तों को मर्यादित जीवन जीने का आहवान किया। सम्राट अशोक तिराहा मंडप गेस्ट हाउस के सामने वी आई पी रोड में सजे पंडाल में प्रभु श्रीराम के गीतों की मधुर ध्वनि दूर दूर तक पहुंच रही है। आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम के जन्म के साथ ही मानो अयोध्या वासियों के सारे मनोरथ एक साथ पूरे हो गये और ऐसा ही दृश्य अभी 22 जनवरी को अयोध्या में एक बार फिर से देखने को मिला। पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद राजा दशरथ और उनकी रानियां बेहद प्रसन्न है। अयोध्या में घर घर बधाइयां बज रही है। महाराज ने कहा कि भारत में गुरूकुल पद्धति के आधार पर शिक्षा की आवश्यकता है। वर्तमान पीढी को भारतीय संस्कारों मर्यादाओं आचार विचार व अपनी महान गौरवशाली परंपरा से परिचित कराने की आवश्यकता है। शिक्षा व संस्कार एक दूसरे के पूरक है, इसलिये शिक्षा वहीं दी जाये जो बच्चों को संस्कारित कर सके। भगवान राम माता पिता गुरूजनों का आदेश लिये बिना कोई कार्य नहीं करते थे अतः हम सब भी माता पिता के अधिकारों से उनको वंचित न करे। लक्ष्मण जी के बिना भगवान श्रीराम को न नींद आती है न भोजन रूचि कर लगता है अतः भ्रातृ प्रेम ही परिवार की दृढता का आधार है। जहां जहां भाई भाई में प्रेम नहीं वह परिवार कभी आगे नहीं बढ सकता है। महाराज ने कहा कि राम का चरित्र अनुकरणीय है। जो कोई प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर चलने का संकल्प ले ले तो उसका जीवन धन्य हो जाता है। जीवन की सार्थकता के लिए अध्यात्म व धर्म का अनुसरण बहुत जरूरी है। श्री राम कथा आदर्श पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान राम का चरित्र जहां एक ओर पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है। वही दूसरी ओर जाति पाती के भेदभाव को मिटाकर मानव मात्र में सौहार्द की भावना जगाता है। कथा को आगे बढाते हुये महाराज ने कहा कि जब गुरूदेव विश्वामित्र राम व लक्ष्मण को यज्ञ रक्षा हेतु अपने साथ ले जाना चाहते थे तो महाराज दशरथ के मना करने पर स्वयं कुलगुरू वशिष्ठ महाराज से कहते हैं कि राजन इन बच्चों का जन्म राज्य भोगने के लिये नहीं बल्कि धर्म स्थापना के लिये हुआ है इसलिये पुत्र मोह छोडकर इनको जाने दो। इसी प्रकार हम सभी को भी अपने जन्म व जीवन का परम लक्ष्य ज्ञात होना चाहिये कि यह मनुष्य शरीर केवल भोग भोगने के लिये नहीं बल्कि धर्मरक्षा देश सेवा आदि के लिये मिला है। कथा के बाद आरती हुई और फिर भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। राम कथा में प्रमुख यजमान राकेश श्रीवास्तव के साथ अनूप अग्रवाल लल्ला, मनीष कपूर, वर्षा श्रीवास्तव यजमान के रूप में मौजूद रहे। श्री राम कथा में पुलिस अधीक्षक उदय शंकर सिंह भी पहुंचेl इस दौरान आयोजन समिति के संयोजक स्वरूप राज सिंह जूली, संवेदना सेवा न्यास के संस्थापक अध्यक्ष पंकज, लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉक्टर हरेश प्रताप सिंह, यूथ आइकॉन डॉक्टर अनुराग श्रीवास्तव, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य नरेंद्र सिंह, ब्रह्मानंद कॉलेज के प्राचार्य डॉ विवेक द्विवेदी एवं डॉ प्रीति द्विवेदी, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कारवांह ज्ञानेंद्र सिंह, विभाग संपर्क प्रमुख प्रदीप सिंह ,संवेदना सेवा न्यास के आजीवन संरक्षक अनुराग त्रिपाठी, समिति के सह संयोजक विशेष बाजपेई, नमामि गंगे संयोजक शैलेंद्र शरन सिंपल, श्यामलाल प्रजापति, ग्रायत्री सिंह, प्रेमा सिंह राठौर, अमित शिवहरे, विक्रम चन्देल, विनीत श्रीवास्तव, विनोद सिंह चंदेल आदि भक्त मौजूद रहे।

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