टोगो रिटेल मार्केटिंग लिमिटेड व टोगो स्वास्थ्य एवं जनकल्याण संस्थान” क़ी आड़ में सैकड़ों करोड़ क़ी ठगी
गैम्बलर राम आसरे प्रजापति” हजारों निवेशकों क़ी गाढ़ी कमाई लेकर फ़रार
आधा दर्ज़न तथाकथित कम्पनियों में कराया था निवेश, बेटी-दामाद क़े नाम ख़रीदी अकूत सम्पत्ति
बड़े ख़ेल में बेटे व भतीजा भी रहा शामिल, सरकारी अध्यापक दिनेश प्रजापति क़ी भी रही अहम भूमिका
दूलापुर से मुराइनटोला तक क़े सफ़र में रहे कई पेच, स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस क़ी भूमिका भी संदिग्ध
स्थानीय जनप्रतिनिधियो क़ी उपेक्षा क़ा दंश झेल रहे निवेशक, अगले माह लखनऊ में शुरू करेंगे धरना-प्रदर्शन
फ़तेहपुर। जनपदवासियो क़ा कई सौ करोड़ रुपये लूटकर एक़ नटवर लाल दबे पॉव ज़िले से चम्पत हो गया और किसी क़ो कानो-कान ख़बर तक नहीं हुई। “टोगो रिटेल मार्केटिंग लिमिटेड व टोगो स्वास्थ्य एवं जनकल्याण संस्थान” क़ी आड़ में आधा दर्जन से अधिक संस्थाओं में आम जनता क़ा करोड़ों रुपये जमा कराने वाले बड़े गैम्बलर "राम आसरे प्रजापति” ने अपने सगे सम्बन्धियों क़े नाम पर अकूत सम्पत्ति बनाई और अब पूरी तरह भूमिगत हो गया है।हाईप्रोफ़ाइल हो चले इस प्रकरण क़े गर्भ में कई अनबुझी पहेली कलरव तो करती है, किन्तु किसी मुक़ाम तक नहीं पहुँच पा रही हैं…!
उल्लेखनीय है कि तक़रीबन 16 हज़ार लोगों क़ा चार सौ करोड़ रुपये डकारने वाले राम आसरे प्रजापति क़ा सिस्टम इतना प्रभावी बताया जाता है कि पाँच दर्ज़न तहरीरों क़े बावजूद स्थानीय पुलिस ने एक़- दो को छोड़कर अधिकांश मामलो को दर्ज़ नहीं किया। बाद में अदालत क़े आदेश पर आधा दर्ज़न क़े क़रीब मामले दर्ज़ तो हुए किन्तु किसी क़ी भी विवेचना मुक़ाम तक नहीं पहुँच सकी। ज़िले क़े ललौली थाना अंतर्गत दूलापुर गाव क़ा गैम्बलर राम आसरे प्रजापति 1997 क़े क़रीब सरकारी नौकरी में होने क़े बावजूद इस गोरख-धन्धे में उतरा था। शहर क़े मुराईन टोला व तेलियानी ब्लांक कार्यालय समेत विभिन्न इलाक़ों में आलीशान मकान बनाने क़े साथ ही मुराईन टोला इलाक़े में स्थित ज़िला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय क़े ऊपर आकर्षक कार्यालय बनाया और यहीं से शुरू हुआ लूट क़ा बड़ा ख़ेल…!
राम आसरे प्रजापति ने लूट क़े इस महामिशन में अपने सजातीय बंधुओ ख़ासकर रिस्तेदारो व परिजनों क़ी जोड़ा और देखते ही देखते बड़ा सिस्टम सज़ा लिया। शुरुआती कुछ सालों में तो सब कुछ ठीक-ठाक ढंग से चला किन्तु पिछले छः-आठ सालों में जिन कम्पनियों में कई हज़ार लोगों क़ा सैकड़ों करोड़ रुपये जमा कराया वह स्वयं हड़प क़र लिया। लोगों क़ो बाक़ायदे बाण्ड-रसीदें भी दी गई, जिनकी मियाद पूरी हुए कई वर्ष हो गये किन्तु किसी क़ो भी भुगतान नहीं मिला।
बड़ी गड़बड़ी उपरोक्त दोनो संस्थाओं क़े मालिक पृथ्वी पाल सिंह सेठी क़े 2016 में जेल ज़ाने और दिसम्बर 2019 में ज़मानत पर जेल से बाहर आने क़े बीच क़ी बताई जाती है। सूत्रों क़ी मानें तो राम आसरे सरकारी अध्यापक होने क़े कारण स्वयं तो अपना नाम आगे नहीं किया किन्तु पर्दे क़े पीछे से पूरी कहानी क़ी पटकथा लिखता रहा। राम आसरे क़ा स्थानीय स्तर पर पूरा काम शिव किशोर प्रजापति देखते थे, जिसे उनक़ा भांजा बताया जाता है। बताते हैं कि मोटी रक़म क़े हेर-फेर क़ा मामला जब सेठी ने पकड़ लिया तो राम आसरे एण्ड कम्पनी ने कुछ ऐसा किया कि कुछ ही दिन बाद संदिग्ध परिस्थितियों में शिव किशोर क़ी मौत हो गई…!
04-05 साल में धन दूना और आर.डी. आदि जमा योजनाओं में अकेले फ़तेहपुर में कई सौ करोड़ रुपये जमा कराने में कई सैकड़ा एजेण्ट/कार्यकर्ताओं क़ी टीम ने भी इस महाखेल में अपनी मौजूदगी तो दर्ज़ कराई किन्तु स्वयं भी ठगे गये। बताते हैं कि राम आसरे प्रजापति और उनके ठग सिपाहसालारो ने एजेण्ट/कार्यकर्ता बनने का एक़ दस्तूर बनाया था, जिसके तहत पहले स्वयं क़ा पैसा जमा कराओ फ़िर कमीशन पर काम करो…!
आम जनता क़ा सैकड़ों करोड़ रुपए हज़म क़रने में राम आसरे के पुत्र भूपेन्द्र कुमार व नागेंद्र कुमार व भतीजे आशीष कुमार क़ी भी बड़ी भूमिका बताई जाती है। एक़ अन्य जानकारी क़े अनुसार राम आसरे ने इस बड़े गोलमाल से अकूत सम्पत्ति जुटाई जिसका बड़ा हिस्सा कानपुर निवासी अपनी बेटी और दामाद क़े नाम पर इन्वेस्ट क़रने क़ी बात क़ही जा रही है। फ़तेहपुर छोड़ चुके राम आसरे क़े कानपुर में छिपे होने क़ी सम्भावनाएँ बलवती हैं…! राम आसरे क़ी अचल सम्पत्ति इस जनपद क़े साथ-साथ प्रदेश क़े नौ जनपदो में बड़ी संख्या में होने क़े प्रमाण मिलते रहे हैं। कुछ लोग उसके कानपुर में प्रापर्टी डीलिंग क़े व्यवसाय से जुड़े होने क़ी बयानी क़र रहे हैं…! उसका दूलापुर में स्व. रामाधीन इण्टर क़ालेज़ भी है। वह लगभग दस वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो चुका है।
कम समय में ज़्यादा फ़ायदे क़े लालच में जिन हज़ारों लोगों क़ी गाढ़ी कमाई इन तथाकथित कम्पनियों में जमा कराने वालों में एक़ बड़ा नाम सरकारी अध्यापक दिनेश प्रजापति क़ा बताया जाता है। दिनेश वह नाम है, ज़िससे राम आसरे क़े एंपायर क़ा गहरा ताल्लुक़ था। दिनेश क़ो भी इस बड़े गड़बड़झाले के लिये कम ज़िम्मेदार नहीं क़हा जा सकता है। सरकारी कर्मचारी होने क़े नाते दिनेश प्रजापति अपने नाम क़ा उपयोग तो नहीं कर सकता था, इसलिए उसने अपनी सपा नेता पत्नी रीता प्रजापति क़े नाम और प्रभाव का इस्तेमाल किया। रीता प्रजापति पूर्व में असोथर ब्लाक क़ी प्रमुख रह चुकी है और अयाह शाह विधान सभा सीट से समाजवादी पार्टी क़े टिकट पर चुनाव भी लड़ चुकी है। बताया यह भी जाता है कि रीता प्रजापति क़े राजनैतिक गुरू पूर्व मन्त्री गायत्री प्रजापति क़ा भी काफ़ी पैसा इन कम्पनियों में दूसरे नामों से निवेश हुआ था…! ख़बर है कि दिनेश द्वारा फ़िर से कुछ और तथाकथित कम्पनियों क़ो अस्तित्व में लाकर लोगों से पूँजी निवेश क़ा ताना-बाना बुना जा रहा है…! वैसे दिनेश प्रजापति कई बार निवेशकों क़ो धमकाते और अपने प्रभाव में लेते भी देखे जा चुके हैं।गौरतलब है कि जिन हज़ारो लोगों क़ा लगभग चार सौ करोड़ रुपये डकारने वाले राम आसरे प्रजापति व उसके ख़ास सिपाहसलारो क़ा प्रभाव इतना प्रभावशाली है कि पाँच दर्ज़न से अधिक तहरीरों क़े बावजूद स्थानीय पुलिस ने एक़- दो को छोड़कर अन्य मामले दर्ज़ नहीं किए। बाद में अदालत क़े आदेश पर ऐसे-तैसे आधा दर्ज़न क़े क़रीब मामले दर्ज़ तो किये गये किन्तु किसी क़ी भी विवेचना अब तक पूरी नहीं हो सकी है और ऐसे हालात हैं कि फ़िलहाल पूरी होने क़ी उम्मीद भी नहीं है…! आलम यह है कि जब क़ोई निवेशक राम आसरे क़े स्थानीय आवास तगादा क़रने जाता है तो उनके लड़के और गुर्गे उसे इतना धमकाते हैं कि वह दोबारा इधर क़ा रुख़ क़रने क़ी हिम्मत नहीं जुटा पाता।
तमाम निवेशकों ने अपने साथ हुए छल और ठगी क़ो लेकर केन्द्र- प्रदेश सरकार से भी कई बार कार्यवाही करवाने क़ी गुहार लगाई किन्तु सिर्फ़ आश्वासन ही हाथ लगा। पूर्व में कई बार कलेक्ट्रेट में हुए प्रदर्शन भी राम आसरे प्रजापति क़े प्रभाव क़े आगे बौने साबित हो चुके है और समूचा सिस्टम इस मद में किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सका है।