मत्स्य तथा पशु पालन व डेयरी मंत्रालय के निर्माणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा
मत्स्य तथा पशु पालन व डेयरी मंत्रालय के निर्माणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा

केंद्रीय बजट पर जमकर बोले फतेहपुर सपा सांसद नरेश उत्तम पटेल

फतेहपुर। वर्तमान समय में चल रहे संसद सत्र में फतेहपुर सपा सांसद नरेश चंद्र उत्तम पटेल ने सभापति का आभार व्यक्त करते हुए बोले कि आपने मुझे पशुपालन तथा मत्स्य पालन के बजट पर चर्चा करने के लिए मौका दिया, इसके लिए मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति धरोहर में पशुपालन और मत्स्य पालन का विशेष महत्व रहा है। भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं में पशुपालन का गहरा नाता है जिसमें महाभारत जैसे महाकाव्य में भगवान श्री कृष्ण को गायों का चरवाहा बताया गया जो पशुपालन के महत्व को दर्शाता है। गोकुल और बनावन में गायों का पालन पोषण भारतीय समाज के लिए आदर्श माना गया है। भारतीय परंपरा में पशुधन का महत्व इतना अधिक रहा है कि कामधेनु को मानव की समस्याओं का पूरक माना गया है जिसे कामधेनु को सर्व कामुमुख भी कहा जाता है, इसको हमारी धार्मिक कथाओं में एक दिव्य गायक रूप में देखा गया जो अपने धारक को हर प्रकार की समृद्धि और सुख प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मत्स्य पालन का भी हमारी संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मत्स्य अवतार भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप से प्रकट होकर मानवता की रक्षा की थी, यह कथाएं न केवल धार्मिक महत्व को रखती हैं बल्कि यह भी दर्शाती है कि मत्स्य पालन कितनी पुरानी महत्वपूर्ण परंपरा है। पशुपालन और मत्स्य पालन कितने और मछुआरों के जीवन में न केवल आर्थिक रूप से समृद्धि लाते हैं बल्कि हमारे पास संस्कृति और धार्मिक जीवन में अभिन्न हिस्सा भी है। आज भी ग्रामीण जीवन उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है इन्हें इन परंपराओं को संजोए रखना चाहिए।
 श्री पटेल अपने 7 मिनट 56 सेकेंड के भाषण में बोले कि भारत के अर्थव्यवस्था में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है, भारत दुनिया के सबसे अधिक पशुपालन करने वाला देश है जिसकी कुल संख्या लगभग 553.78 मिलियन है और लगभग 20.5 मिलियन लोग अपनी आजीवका के लिए पशु पर निर्भर है। पशुधन ने छोटे किसानों के परिवारों की आय में 16 प्रतिशत का योगदान दिया है जबकि सभी ग्रामीण परिवारों के लिए या औसतन 14 फीसदी है। कहा कि पशुधन ग्रामीण समुदाय के लिए दो तिहाई लोगों को आजीविका प्रदान करता है या भारत के लगभग 8.8 फीसदी आबादी को रोजगार भी प्रदान करता है। हमारे देश का पशु संसाधन विशाल है तथा भारत जलवायु परिवर्तन के दौर में जहां मानसून और अनियमित और मौसमी विषमताएं फसलों को तबाह कर देती है, उस वक्त पशुधन इन किसानों के सहारे का काम करया है, इसके अलावा पशुधन, मत्स्य पालन हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है या न केवल स्थाई आजीविका प्रदान करते हैं बल्कि हमारे समाज को स्थाई तो सुरक्षा भी प्रदान करते हैं, दुर्भाग्य है कि वर्ष 2024-25 के बजट में वर्तमान सरकार इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को प्राथमिकता नहीं दे रही है। कहा कि वर्ष 2023-24 में पशुपालन और डेयरी के लिए जो राजस्व बजट 4 लाख 28 हजार 9 सौ 9 करोड रुपए था उसे अब घटाकर 4 लाख 28 हजार 3 सौ 57 करोड रुपए कर दिया गया है। वहीं पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण के कार्यक्रम में बजट के मामले वृद्धि करते हुए इसे 2 लाख 34 हजार 9 सौ 70 करोड रुपए से बढ़ाकर  2 लाख 46 हजार 5 सौ करोड रुपए किया गया। यह वृद्धि भी इस क्षेत्र की व्यापक जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। सरकार द्वारा उठाए गए यह कदम पशुधन और मत्स्य पालन क्षेत्र में अहम जरूरत को अनदेखा किया गया है। मौजूदा बजट आवंटन के क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। इसके अलावा पिछले वित्तीय वर्ष मछली योजना पालन विभाग और संशोधित बजट को घटा दिया गया था। सरकार की इस उड़ान चिंता के चलते उनकी इस क्षेत्र में विकास की गंभीरता को प्रकट करता है जिसमें इस क्षेत्र के लिए अधिक धन आवंटन की आवश्यकता है ताकि पशुधन और मत्स्य पालन के माध्यम से हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके तथा देश को और समृद्ध किया जा सके। संसद सत्र में उनके भाषण में जमकर तालियां बरसी उसके बाद नरेश उत्तम ने कहा कि उत्तर प्रदेश जो देश का सबसे बड़ा राज्य है, उसमें पशुओं के संरक्षण के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था नहीं है। हमारे लोकसभा क्षेत्र फतेहपुर के छुट्टा जानवरों में सबसे ज्यादा किसान परेशान है, छोटा जानवर भी जीवन और मौत से जूझ रहा है, उनके लिए सरकार द्वारा कोई भी बेहतर इंतजाम नहीं किया गया ताकि उनके लिए चारे का प्रबंध किया जा सके। हमारे उत्तर प्रदेश के खासकर बुंदेलखंड का इलाका है, यहां पर यह छुट्टा जानवर किसानों को तो नुकसान कर ही रहे हैं अब यह वे लोगों को मार भी रहे हैं, इस तरीके से न जाने कितनी घटनाएं घटित होती हैं, किसानों में फलाने व्यक्ति को मार दिया साड़ों ने उसको गिरा दिया, इस तरीके की बात सुनने को मिलती है। ऐसे में छुट्टा जानवरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने अपने जमाने में उनके लिए पर्याप्तचर्य व्यवस्था की थी लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने छुट्टा जानवरों की कोई संरक्षण की व्यवस्था नहीं की और उनके खाने के लिए मात्र 30 रुपए दिए जाते हैं। इस तरीके से उत्तर प्रदेश में पशुपालन की स्थिति बद से बदतर हो गई है। इसके अलावा उन्होंने सभापति से अपील किया कि फतेहपुर जिले के लिए कुछ मांग करना चाहता हूं। हमारे यहां पराग डेरी के दो बड़े-बड़े प्लांट थे लेकिन पिछले 5 सालों से दोनों डेरी के प्लांट्स बंद पड़े हैं, वहां किसी भी तरह का कोई काम नहीं हो रहा है इसलिए उनको चालू किया जाए। डेरी संचालक सुव्यवस्थित नहीं है। फतेहपुर जिले में एक वेटरनरी कॉलेज खोलने की आवश्यकता है यदि वहां एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोल दिया जाएगा तो पशुओं की सम्वत्ता का बहुत बड़ा योगदान होगा। उन्होंने सभापति के  माध्यम से अपील किया कि उत्तर प्रदेश में पशुओं की बदहाल हालत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भारतीय जनता पार्टी बातें तो बड़ी-बड़ी करती है लेकिन वहां स्थिति बद से बदतर हो गई है।
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