*सरकारी दस्तावेज में दर्ज खंभापुर मोहल्ले के चार तालाब भू माफिया ने कर दिए अस्तित्व विहीन*
👉 *तत्कालीन जिलाधिकारी आञ्जनेय कुमार सिंह ने कराई थी तालाबों की जांच*
👉 *भू माफियाओं के ऊंची पहुंच के चलते प्रशासन हुआ नमस्तक*
*फतेहपुर*। नगर पालिका फतेहपुर के मोहल्ला खंभापुर की जमीनी हकीकत कुछ और ही है ग्राम समाज की जमीन में चार तालाब सरकारी दस्तावेज में दिख रहे हैं लेकिन इन तालाबों में ना ही किसी का मत्स्य पालन का पट्टा किया गया और नहीं तालाब धरातल पर हैं। भू माफियाओ द्वारा सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जमकर चारों तालाबों में अतिक्रमण करके उन्हें अस्तित्व विहीन कर दिया गया।
इन तालाबों में भूखंडों का निर्माण करने के साथ ही भू माफिया अपना व्यवसाय फैलाए हुए हैं। हालात यह है कि मौके पर कहीं भी तालाब दिखाई नहीं दे रहे। जिला प्रशासन इस तरफ अगर नजर करें तो शीघ्र ही इन तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया जा सकता है।
नगर पालिका क्षेत्र सदर के खंभापुर मोहल्ले में खलिहान, पशुचर, खेलकूद मैदान, वृक्षारोपण व तालाब की जमीन सरकारी दस्तावेजों में तो दर्ज हैं जिसमें राजस्व विभाग के अभिलेख में खंभापुर मोहल्ले में चार तालाब दर्ज हैं जो लगभग 11 बीघा के बताए जा रहे हैं। भू माफियाओ द्वारा जिला प्रशासन की नाक के नीचे तालाबों पर किए गए के अवैध कब्जे के चलते उनका अस्तित्व समाप्त हो चुका है। ग्रामीणों की शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी आञ्जनेय कुमार सिंह ने इन तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए अभियान भी चलाया और राजस्व टीम द्वारा तालाबों की नाप भी हुई लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद मामला ठंडा बस्ते में पड़ गया। जिससे क्षेत्र में भूमाफियाओ के हौसले बुलन्द हो गए और उन्होंने ग्राम समाज की जमीनों में अपना अधिकार काबिज कर मकान निर्माण करा लिया।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक तरफ जहां ग्राम समाज की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का दावा कर रहे हैं। सरकारी दस्तावेज में खंभापुर क्षेत्र में चार तालाब तो दिख रहे हैं लेकिन मौके पर तालाबों पर दबंग व भूमाफिया ने कब्जा कर रखा है। तत्कालीन जिलाधिकारी आञ्जनेय कुमार सिंह द्वारा चलाए गए अभियान के बाद भी ग्रामीणों ने तालाबों में हुए अतिक्रमण को हटाने की मांग प्रशासनिक अधिकारियों से किया लेकिन भूमाफियाओं के ऊंचे पहुंच के चलते अभी तक खंभापुर मोहल्ले में ग्राम समाज की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे पर काबू नहीं लगाया सका। राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाबों की जगह अब आलीशान मकान बनाकर साथ ही उद्योग धंधे कर प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं।