भारतीय संस्कृति मे अन्न और अन्नदाता दोनों ही पूज्यनीय- डॉ एन के वाजपेयी
भारतीय संस्कृति मे अन्न और अन्नदाता दोनों ही पूज्यनीय- डॉ एन के वाजपेयी


बांदा। कृषि विश्वविद्यालय,  में देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन  किसान सम्मान दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर कृषि से संभंदित्  ज्ञान को बढ़ाने के लिए छात्र छात्राओ  के लिए एक लिखित प्रश्नोत्तरी परीक्षा कराई गई। साथ ही बदलते जलवायु परिवेश में कृषि विषय पर एक पोस्टर प्रतियोगिता एवं कृषक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार, प्रो० एन के वाजपेई जी रहे। प्रो० वाजपेई ने अपने संबोधन मे कहा कि विकसित भारत अभियान एवं देश की पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के दृष्टिगत किसानों के योगदान एवं कृषि विकास में वैज्ञानिकों की भूमिका सरहानीय हैं। उन्होंने आजदी से अब तक की कृषि व किसानों के आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उपस्थित किसान भाईयो व छात्र छात्राओ को मृदा व जलवायु को स्वस्थ बनाये रखने के लिए विभिन्न उपयो को अपनाने के लिए अह्वांवान किया। उन्होंने कहा कि देश जवान, किसान और विज्ञान से आगे बढ़ रहा है। लेकिन दुर्भाग्य है कि आज बहुत ही कम किसान अपने बेटे को किसान बनाने के बारे में सोचता है, ऐसा क्यों है ये सोचनीय विषय है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि निदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट, डॉ बी पी मिश्रा ने वताया की हमारे किसान भाईयो की खेती किसानी मे आने वाली समस्याये ही कृषि शोध का आधार हैं। प्रसार वैज्ञानिको द्वारा इन्हे चिंहित कर शोध मे संमलित किया जाता हैं। डॉ मिश्रा ने विश्वविद्यालय के प्रयासों एवं विश्वविद्यालय में चल रहे शोध एवं प्रशिक्षण की जानकारी के साथ अपने विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो० जी एस पवार ने की तथा स्व० चौधरी चरण सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डाला।प्रो०पवार ने कहा कि  आज विज्ञान का यूग हैं परंतु किसान भी खेती मे विज्ञान के महत्व को समझे और इसे ज्यादा से ज्यादा महत्व दे। कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर दिनेश शाह ने प्रश्नोत्तरी एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन कर विजेता छात्र छात्राओं को प्रमाण  पत्र को मुख्य अतिथि के द्वारा प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर देव कुमार एवं आभार डॉक्टर अरुण कुमार ने किया तथा कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक छात्र  छात्राएं एवं सोनभद्र व बाँदा जनपद के लगभग 50 कृषकों ने प्रतिभाग़ किया। इसके उपरांत कृषकों को विश्वविद्यालय का  भी भ्रमण कराया गया।
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