आम की फसल की अच्छी उत्पादकता के लिए करें यह कार्य
आम की फसल की अच्छी उत्पादकता के लिए करें यह कार्य


फतेहपुर जिला उद्यान अधिकारी डॉ रमेश पाठक द्वारा जानकारी दी गयी कि आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि आम की फसल को सम-सामयिमक हानिकारक कीटों से बचाने हेतु उचित समय पर प्रबन्धन किया जाय। माह जनवरी में अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इस माह में गुजिया मिज कीट का प्रकोप प्रारम्भ होता है जिससे फसल को काफी क्षति पहुंचती है। अतएव आम के बागवानों को कीट के प्रकोप के नियंत्रण हेतु निम्नलिखित सलाह दी जाती है-
गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकल कर पेड़ों पर चढ़ते है और मुलायम पत्तियों, मजरियों एवं फलों से रस चूसकर क्षति पहुंचाते है। इसके शिशु कीट 1-2 मिमी0 लम्बे एवं हल्के गुलाबी रंग के चपटे तथा मादा वयस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन एवं चपटे होते है। इस कीट के नियंत्रण के लिए बागों की गहरी जुताई/गुडाई की जाय तथा शिशकीट को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए आम के पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 50-60 से०मी० की ऊँचाई पर 400 गेज की पालीथीन शीट की 50 सेमी० चौड़ी पट्टी को तने के चारों ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बांध कर पॉलीथीन शीट के ऊपरी व निचली हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए जिससे कीट पेडों के ऊपर न चढ़ सकें। इसके अतिरिक्त शिशुओं को जमीन पर मारने के लिए दिसम्बर के अन्तिम या जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अन्दर पर दो बार क्लोरीपाइरीफॉस (1.5 प्रतिशत) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारों ओर बुरकाव करना चाहिए। अधिक प्रकोप की स्थिति में यदि कीट पेड़ों पर चढ़ जाते है तो ऐसी दशा में मोनोक्रोटोफॉस 36 ई०सी० 1.0 मिली० अथवा डायमेथोएट 30 ई०सी० 2.0 मि०ली० दवा को प्रति ली० पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
इसी प्रकार आम के बौर में लगने वाले मिज कीट मंजरियों, तुरन्त बने फूलों एवं फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती है, जिसकी सूड़ी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुंचाती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए यह आवश्यक है कि बागों की जुताई / गुड़ाई की जाय तथा समय से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए फेनिट्रोथियान 50 ई०सी० 1.0 मि०ली० अथवा डायजिनान 20 ई०सी० 2.0 मि०ली० अथवा डायमेथोएट 30 ई०सी० 1.5 मि०ली० दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर बौर निकलने की अवस्था पर एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
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