गब्बर और महेंद्र... सुशीला बोल रही हूं', टावर के पास हूं, मुझे ले चलो; पांच हजार बिछड़े*
*गब्बर और महेंद्र... सुशीला बोल रही हूं', टावर के पास हूं, मुझे ले चलो; पांच हजार बिछड़े*
मौनी अमावस्या पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। भीड़ बढ़ने के दौरान कई लोग अपने परिजनों से बिछड़ गए। खोया पाया केंद्र पर लोग माइक में अपनों को पुकारते रहे। वहीं, माइक से सुशीला नाम की महिला ने अपने जानने वाले गब्बर और महेंद्र यादव को आवाज लगाई। बोली-टावर के पास हूं आकर मुझे ले चलो। मैं मेले में खो गई हूं। इसके बाद परिजन उसे ले गए। मेले में एक सरकारी और दो गैर सरकारी संस्था बिछड़े लोगों को अपनों से मिलाने का काम रही है। इनमें सरकारी खोया-पाया केंद्र भी शामिल है। जबकि गैर सरकारी में भूले-भटके शिविर और हेमवती नंदन बहुगुणा सेवा समिति बनाई गई है। 
-भटके शिविर के संचालक उमेश तिवारी बताते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन सुबह से शाम छह बजे तक मेला में भटकने वालों में से करीब 600 पुरुष और 400 महिलाओं को अपनों से मिलाया गया। वहीं, खोया-पाया केंद्र व हेमवती नंदन बहुगुणा सेवा समिति ने भी दो हजार लोगों को परिजनों से मिलवाया।
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