भाजपा लगाएगी हैट्रिक या रोहिणी की जनता किसी और को चुनेगी? ऐसा है यहां का चुनावी इतिहास
न्यूज।दिल्ली में विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान हो चुका है। दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभी के चुनाव होने है। सभी पार्टियां चुनावों की तैयारियों में लग चुकी है। इस कड़ी में हम आपको दिल्ली की सभी सीटों का हाल बता रहे हैं। आज रोहिणी विधानसभा सीट की बात करेंगे। रोहिणी विधानसभा सीट का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। क्योंकि 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व नें आई। दिल्ली को विधानसभा कैसे मिली, इसकी कहानी 1952 से शुरू हुई। 1952 पार्ट-सी राज्य के रूप में दिल्ली को एक विधानसभा दी गई। 1956 में उस विधानसभा को भंग कर दिया गया। 1966 में दिल्ली को एक महानगर परिषद दी गई।
दिल्ली राज्य विधान सभा 17 मार्च, 1952 को पार्ट-सी राज्य सरकार अधिनियम, 1951 के तहत अस्तित्व में आई। 1952 की विधानसभा में 48 सदस्य थे। मुख्य आयुक्त को उनके कार्यों के निष्पादन में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद का प्रावधान था, जिसके संबंध में राज्य विधानसभा को कानून बनाने की शक्ति दी गई थी।
राज्य पुनर्गठन आयोग (1955) की सिफारिशों के बाद, दिल्ली 1 नवंबर, 1956 से भाग-सी राज्य नहीं रही। दिल्ली विधानसभा और मंत्रिपरिषद को समाप्त कर दिया गया और दिल्ली राष्ट्रपति के प्रत्यक्ष प्रशासन के तहत केंद्र शासित प्रदेश बन गया। दिल्ली में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था और उत्तरदायी प्रशासन की मांग उठने लगी। जिसके बाद दिल्ली प्रशासन अधिनियम, 1966 के तहत महानगर परिषद बनाई गई। यह एक सदनीय लोकतांत्रिक निकाय था जिसमें 56 निर्वाचित सदस्य और 5 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य होते थे।