श्री कृष्णा आदर्श विद्या मंदिर में धूमधाम से मनाई गई डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती
श्री कृष्णा आदर्श विद्या मंदिर में धूमधाम से मनाई गई डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती


फतेहपुर।श्री कृष्ण आदर्श विद्या मन्दिर बौद्धिक दिव्यांग एवम् श्रवण बाधित दिव्यांग आवासीय विद्यालय  उत्तर प्रदेश में संविधान शिल्पी‚ भारत रत्न डा0 भीमराव अम्बेडकर जी का जन्म दिवस का धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय के उपाध्यक्ष व प्रबन्धक  सीताराम यादव ने डा0 भीमराव अम्बेडकर जी के चित्र पर मल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ कर किया। जिसमें बाबा साहेब के कत्तिव एवं व्यक्तित्व पर विस्तर से प्रकाश डाला गया। तथा उनके व्यक्तित्व‚ विचारों और आदर्शो पर चलने का संकल्प दिलाया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य मनीष कुमार सिंह ने किया।
प्रबन्धक  ने अपने सम्बोधन में कहा कि डा0 भीमराव अम्बेडकर जी समाज के पथ प्रदर्शक थे। वे एक युग पुरुष थे जिन्होने देश को एक नई सोच‚ नया चिंतन और भारत को विकसित राष्ट के रुप में बदलने का सपना देश वासियों को दिखाया। उन्होने सामाजिक न्याय पत्रिका का प्रकाशन कर लोगो जाग्रति पैदा की।
डॉ.वकील अहमद ने कहा कि बाबा साहेब अपने समय की परिस्थितियों से काफी उूपर थे। उस समय भारत जातिवाद की जंजीरों में जकडा था। इन हालातों में बाबा साहेब ने एक ऐसे सविधान की रचना की। जिसके तहत हम आज भी काम कर रहे है। हमारे देश के संविधान में जातिवाद‚ ऊँच– नीच‚ छुआ-छूत का कोई स्थान नही है। संविधान की प्रस्तावना में सभी को बराबर का स्थान हासिल है। सभी लोगो को अपने धर्मो को इच्छानुसार मानने की आजादी है। जो दुनिया के किसी भी देश में इस प्रकार की आजादी देखने को नही मिलती है। हजारो साल नरगिस अपनी बेनुरी पर रोती है‚ बडी मुश्किल से होता है चतन में दीदारे पैदा। 
मनीष कुमार सिंह ने कहा कि आंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे। उनका परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूूल का था और वो वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गाँव का निवासी था। वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी और इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था।भीमराव आम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत रहे थे और उनके पिता रामजी सकपाल, भारतीय सेना की महू छावनी में सेवारत थे तथा यहां काम करते हुये वे सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी।अपनी जाति के कारण बालक भीम को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेक प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने सातारा की गवर्न्मेण्ट हाईस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी आंबडवेकर दर्ज कराया। उनके बचपन का नाम 'भिवा' था। आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था, जो कि उनके आंबडवे गाँव से संबंधित था। क्योंकी कोकण प्रांत के लोग अपना उपनाम गाँव के नाम से रखते थे, अतः आम्बेडकर के आंबडवे गाँव से आंबडवेकर उपनाम स्कूल में दर्ज करवाया गया। बाद में एक देवरुखे ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा केशव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से 'आंबडवेकर' हटाकर अपना सरल 'आंबेडकर' उपनाम जोड़ दिया। तब से आज तक वे आम्बेडकर नाम से जाने जाते हैं। रामजी सकपाल परिवार के साथ बंबई (अब मुंबई) चले आये। अप्रैल 1906 में, जब भीमराव लगभग 15 वर्ष आयु के थे, तो नौ साल की लड़की रमाबाई से उनकी शादी कराई गई थी। तब वे पांचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे। उन दिनों भारत में बाल-विवाह का प्रचलन था।आम्बेडकर के दादा का नाम मालोजी सकपाल था, तथा पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। 1896 में आम्बेडकर जब पाँच वर्ष के थे तब उनकी माँ की मृत्यू हुई थी। इसलिए उन्हें बुआ मीराबाई संभाला था, जो उनके पिता की बडी बहन थी। मीराबाई के कहने पर रामजी ने जीजाबाई से पुनर्विवाह किया, ताकि बालक भीमराव को माँ का प्यार मिल सके। बालक भीमराव जब पाँचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे, तब उनकी शादी रमाबाई से हुई। रमाबाई और भीमराव को पाँच बच्चे भी हुए - जिनमें चार पुत्र: यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और एक पुत्री: इन्दु थी। किंतु 'यशवंत' को छोड़कर सभी संतानों की बचपन में ही मृत्यु हो गई थीं। प्रकाश, रमाबाई, आनंदराज तथा भीमराव यह चारो यशवंत आम्बेडकर की संताने हैं। आम्बेडकर ने कहां था कि, उनका जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्यों से सफल बना है। उन्होंने जिन तीन महान व्यक्तियों को अपना गुरु माना, उसमे उनके पहले गुरु थे तथागत गौतम बुद्ध, दूसरे थे संत कबीर और तीसरे गुरु थे महात्मा ज्योतिराव फुले थे। उनके तीन उपास्य (देवता) थे — ज्ञान, स्वाभिमान और शील।भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। आम्बेडकर को पढने में बहोत रूची थी तथा वे लेखन में भी रूची रखते थे। इसके चलते उन्होंने मुंबई के अपने घर राजगृह में ही एक समृद्ध ग्रंथालय का निर्माण किया था, जिसमें उनकी 50 हजार से भी अधिक किताबें थी। अपने लेखन द्वारा उन्होंने दलितों व देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने लिखे हुए महत्वपूर्ण ग्रंथो में, अनहिलेशन ऑफ कास्ट, द बुद्ध अँड हिज धम्म, कास्ट इन इंडिया, हू वेअर द शूद्राज?, रिडल्स इन हिंदुइझम आदि शामिल हैं। 32 किताबें और मोनोग्राफ (22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें), 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और भविष्यवाणियां इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं। उन्हें ग्यारह भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें मराठी (मातृभाषा), अंग्रेजी, हिन्दी, पालि, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच, कन्नड और बंगाली ये भाषाएँ शामील है। आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन किया हैं। उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ ही, उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है। आम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह उनका ग्रंथ 'भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ' है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है।इस अवसर पर विद्यालय के स्टाफ, छात्र व अभिभवक सहित  दर्जनों लोग मौजूद रहे।
टिप्पणियाँ
Popular posts
शासकीय अधिवक्ता के बेटे का नीति आयोग में हुआ चयन
चित्र
ललौली क्षेत्र के बरौंहा गांव में तीन घरों से चोरों ने नगदी,जेवरात सहित लाखों का माल पार
चित्र
मजदूरी कर घर लौट रहे साइकिल सवार मजदूर की ट्रक से कुचल कर मौके पर दर्दनाक मौत
चित्र
सन्दिग्ध अवस्था में ट्रक चालक की हुई मौत
चित्र
ग्रा. प. ए. की मासिक बैठक में संस्थापक बाबू बालेश्वर लाल जी की पुण्यतिथि मनाने को लेकर हुआ विचार मंथन, सौंपी गई जिम्मेदारी
चित्र