●अनेकों युवाओं के लिए बन चुके हैं प्रेरणास्त्रोत।
●बहुमुखी प्रतिभाओं से हैं संपन्न।
●2 किताबें लिखने के साथ ही राज्य व राष्ट्र स्तरीय विभिन्न प्रतियोगिताओं के लगभग 40 अवार्ड हैं इनके नाम।
फतेहपुर जिले के छोटे से गाँव फतेहपुर मटिहा में जन्में एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बी.ए.एम.एस. की पढ़ाई कर रहे डॉ. विकास की प्रेम के पावन स्वरूप को प्रदर्शित करती हुई एक काव्य-संग्रह "ये दिल चाहता है" प्रकाशित हुई है।जिसकी कविताएं युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रही हैं।
2016 में "विद्यार्थी और रिश्ते" के बाद की ये उनकी लगातार दूसरी पुस्तक है।
तथा इस पुस्तक की विशेषता यह है कि- इसमें प्रेम के साथ ही साथ समाज पर आधारित उन समस्त विषयों को भी समाहित किया गया है जो आज के परिवेश में लगभग सभी के साथ घटित हो रहे हैं।
यही वजह है कि पुस्तक को युवा वर्ग से निरन्तर काफी स्नेह व सराहना मिल रही है।
चिकित्सक के साथ ही साथ विकास एक शानदार कवि, लेखक,उत्साहवर्धक वक्ता एवं समाजसेवी भी हैं।
इसी शानदार व्यक्तित्व और समाजसेवा का परिणाम है कि इतनी कम उम्र में ही डॉ. विकास अपने गाँव/क्षेत्र के बच्चों के शिक्षा में मार्गदर्शन व सहयोग को समर्पित संस्था "मिशन बदलाव युवा समिति" के संस्थापक भी हैं।
डॉ. विकास कहते हैं उनकी पूरी टीम दिल से अपने कर्तव्य का पालन कर रही है, क्योंकि हमसभी का उद्देश्य इस समिति के माध्यम से अपने क्षेत्र समेत जनपद के शिक्षा से जुड़े सभी बच्चों को उनकी शिक्षा में हर सम्भव मदद देने का प्रयास रहेगा।
विकास ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-श्रीमती शिवकुमारी देवी पिता-श्री लक्ष्मीनारायण,गुरुजनों एवं समस्त शुभचिंतकों को देते हुए कहा कि इन सभी लोगों ने जीवन के कठिन दौर में हमेशा साथ दिया है।
गांव से ताल्लुक रखने की वजह से इन्होंने प्रेम की कविताओं के अलावा गांव पर भी कई रचनाएं लिखी हैं, जिनमें गांव के पवित्रता एवं संस्कार पर लिखी गयी - हाँ, मैं गँवार हूँ रचना उनकी सबसे ज्यादा प्रचलित रचनाओं में से एक है।
विकास बताते हैं कि उनके बारे में मनगढ़ंत बाते बनाकर बुराई करने वाले भी कई लोग हैं, ऐसे लोगों के लिए विकास कहते हैं कि-
मेरे जीवन में जब-जब नित नए आयाम आएंगे,
हजारों लोग बनकर सामने वीराम आएंगे,
मुझे मालूम है मैं जितना अच्छा करता जाऊंगा,
जमाने से मुझे उतने बड़े इल्जाम आएंगे।।