SC ने अग्रिम जमानत पर की 45 दिन बाद सुनवाई
जब सुनाया फैसला तब जेल में था शख्स
(न्यूज़)।सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की देरी से लिस्टिंग की कीमत एक शख्स को अपनी आजादी गंवा कर चुकानी पड़ी. तमिलनाडु निवासी शख्स की अग्रिम जमानत की याचिका 45 दिनों से अधिक समय तक अटकी रही. जब अदालत ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए तब वह पहले से ही जेल में था।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष शुक्रवार को जब अदालत ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका का मामला पेश हुआ तब 'देर से न्याय मिलना अन्याय' की धारणा का उदाहरण दिखा. मामले की सुनवाई शुरू करते ही जस्टिस खानविलकर ने कहा- 'यह क्या है? सिर्फ इसलिए कि वह अपनी पत्नी के साथ समझौता नहीं कर सके, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।याचिकाकर्ता के लिए वकील की दलील की जरूरत के बिना, पीठ इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि शख्स की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए, अदालत ने तब आदेश पारित किया. अदालत ने शख्स की पत्नी और मनाप्पराई पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किया. इसने यह आदेश भी जारी किया कि उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और उसे अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए. इस पर शख्स की ओर से अदालत में मौजूद वकील बी करुणाकरण ने कहा कि उनके मुवक्किल को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. करुणाकरण ने कहा, 'माय लॉर्डशिप, मैंने यह याचिका 27 अगस्त को दायर की थी, जो आज सुनवाई के लिए आया है. मेरा मुवक्किल पहले से ही जेल में हैं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया रजिस्ट्री को कुछ निर्देश जारी करें कि अग्रिम जमानत याचिकाओं को शीघ्र सुनवाई के लिए लिस्टेड किया जाए।