अरविंद केजरीवाल ने किसानों को क्यों दी दिल्ली आने की इजाजत? AAP क्यों कर रही उनकी खिदमद?
नई दिल्ली: कोरोना वायरस संकट और लॉकडाउन के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध पंजाब, हरियाणा समेत छह राज्यों के किसान कर रहे हैं. केंद्र सरकार से दो बार की विफल बातचीत के बाद 500 किसान संगठनों के लोग राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डेरा डालकर और शांतिपूर्ण आंदोलन कर केंद्र सरकार से उस कानून को वापस लेने का दवाब बनाना चाह रहे हैं. इसके लिए किसानों ने दिल्ली कूच का नारा दिया था लेकिन उन्हें दिल्ली पहुंचने से पहले ही बीच रास्ते में विशेषकर पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर तमाम हथकंडे अपनाकर रोकने की कोशिश की गई. इस दौरान पंजाब के किसानों को हरियाणा में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा, बावजूद इसके कई किसान दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गए.
जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की और नौ स्टेडियमों को किसानों के लिए अस्थाई जेल बनाने की मांग आप सरकार से की तो अरविंद केजरीवाल ने इससे इनकार कर दिया. उल्टे दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों का स्वागत ‘अतिथि' के तौर पर करते हुए उनके खाने, पीने और आश्रय का बंदोबस्त कर दिया. दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने तो उत्तरी दिल्ली और मध्य दिल्ली के जिला अधिकारियों को किसानों के आश्रय, पेयजल, मोबाइल टॉयलेट के साथ ही ठंड के महीने और महामारी को देखते हुए उपयुक्त व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर संबंधित स्थल पर पेयजल की व्यवस्था की है.
दरअसल, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी AAP नहीं चाहती कि किसानों के गुस्से का सामना उन्हें करना पड़े. इसके पीछे उनकी मंशा भी साफ है. आप पंजाब में अब नंबर दो की पार्टी बन चुकी है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पंजाब की 117 सदस्यीय विधान सभा में आप ने 23.7 फीसदी वोट हासिल कर कुल 20 सीटें जीती थीं.
वहीं पंजाबी और पंजाबियत की बात करने वाली शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था. इन दोनों दलों के गठबंधन (एनडीए) को कुल 50 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था, जबकि कांग्रेस ने 31 सीटों का फायदा लेते हुए कुल 77 सीटें जीती थीं और राज्य में सरकार बनाई थी. कांग्रेस की जीत में किसानों का बड़ा योगदान था.
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो पंजाब की 13 सीटों में से आप ने 4 पर कब्जा किया था, जबकि 2019 के चुनावों में आप को सिर्फ एक सीट पर जीत मिल सकी. भगवा पगड़ी पहनकर और पंजाबी में भाषण देने के बावजूद पंजाबियों ने पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी व एनडीए गठबंधन को नकार दिया था. उन्हें मात्र चार सीटों पर ही जीत मिली.