भ्रष्ट तंत्र और माफिया के गठजोड़ के आगे खून के आंसू बहा रहा है धान बेंचने वाला किसान
धान खरीद में घोटाला किसान परेशान,व्यापारी हो रहे मालामाल
धान खरीद के धीमी गति के लिए मिल मालिक जिम्मेदार चावल की रिकवरी बनी सबसे बड़ी समस्या
अयोध्या।किसान हितैषी और किसानों की आमदनी दुगनी करने की सरकार की घोषणा पर मिल मालिक और व्यापारियों का गठजोड़ हावी होता दिखाई पड़ रहा है अयोध्या न्यूज़ द्वारा किए गए क्रय केंद्रों के निरीक्षण और केंद्र प्रभारियों से अलहदा बातचीत के बाद जो तस्वीर सामने निकल कर आई है वह और ही कहानी बयां कर रही है धान खरीद के लिए खोले गए केंद्रों पर जहां किसानों की भीड़ लगी हुई है वही मोटर के सहारे चलने वाले पंखों से धान की ओसाई करके धान को आधा कर दिया जा रहा है जिससे किसान खून के आंसू रोते हुए आधा धान बेचकर आधा वापस घर लाने को मजबूर हैं विभिन्न केंद्रों पर 15 अक्टूबर से लेकर के और 6 नवंबर के मध्य 200 से 500 कुंटल धान की खरीदी की जा चुकी है जबकि सरकार बढ़-चढ़कर के दावे कर रही है सूत्रों ने बताया कि मिल मालिकों का धान क्रय केंद्रों से जो समझौता प्रपत्र होता है उसको मिल मालिक मानने को तैयार नहीं है ना तो धान क्रय केंद्रों को समय से बोरी उपलब्ध कराए जा रहे हैं और ना उनके धान की उठान हो रही है ऐसी दशा में सूत्रों ने बताया कि मिल मालिक धान क्रय केंद्र प्रभारियों से इस बात के लिए दबाव बना रहे हैं कि आधे से ज्यादा धान व खरीदेंगे और आधे से कम धान क्रय केंद्रों को खरीदना है इसमें सबसे बड़ा घोटाला यह है कि जो धान मिल मालिकों द्वारा खरीदा जाएगा वह किसानों का ही होगा लेकिन उसका रेट 900 से ₹1000 प्रति कुंतल है जबकि केंद्रों पर 18 सो ₹68 का रेट निर्धारित किया गया है इसमें सबसे खास बात यह है कि मिल मालिक क्रय केंद्र प्रभारियों के ऊपर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि 67 प्रतिशत चावल की रिकवरी का धान उनको चाहिए जबकि असमय बरसात व विभिन्न प्रकार की बीमारियों के कारण धान में 67 प्रतिशत चावल की रिकवरी नहीं आ रही है ऐसे में धान को पानी में डुबोकर उसका ओसावन निकालना या पंखे से ओसा कर धान को 25 से 30% तक कम कर देना क्रय केंद्र प्रभारियों के लिए मजबूरी बन गया है प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि शासन स्तर पर रिकवरी रेट 67 से घटाकर 61 करने पर मंथन चल रहा है लेकिन अभी इस बात पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि एक तो जनपद में धान क्रय केंद्रों की क्षमता कम है और उसके मुकाबले धान की पैदावार कहीं 5 से 10 गुना तक ज्यादा है। आपको अमानीगंज विकासखंड की बात बताते हैं जिसमें अमानीगंज विकासखंड में मात्र एक धान क्रय केंद्र कुमारगंज के अकमा गाँव में विपणन शाखा का लगा हुआ है जहां अब तक 500 कुंटल धान की खरीद हुई है अमानीगंज विकास खंड में 70 ग्राम पंचायतें हैं और 11 न्याय पंचायतें हैं जबकि हर न्याय पंचायत स्तर पर साधन सहकारी समिति संचालित है एक न्याय पंचायत में आधा दर्जन के लगभग ग्राम पंचायतें शामिल हैं जिसमें सैकड़ों की संख्या में पुरवे आते हैं यदि न्याय पंचायत स्तर पर धान की खरीद की जाए तब एक न्याय पंचायत पर 5 से 10000 कुंटल धान 1 सप्ताह या 15 दिन में खरीदा जा सकता है और किसानों को उसका उचित रेट मिल सकता है ऐसी दशा में जबकि 70 ग्राम पंचायतों के लिए एक धान क्रय केंद्र है वहां पर मारामारी हो ना और टोकन के लिए एक एक महीने की डेट आम बात है समझने वाली बात यह है कि गेहूं की बुवाई का समय प्रारंभ हो गया है और किसानों को धान गेहूं का बीज खाद जुताई सिंचाई की व्यवस्था करना है ऐसी दशा में ब्यापारी और मिल मालिक इस आस में बैठे हैं कि धान खरीद की गति को धीमा रखा जाए और किसानों का धान क्रय केंद्रों पर न पहुंच सके सीधे व्यापारियों के माध्यम से कम दामों में खरीद लिया जाए,ऐसी दशा में सरकार के दावे पर सवाल उठना लाजमी है अब किसानों की आमदनी कैसे दुगनी होगी इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है भ्रष्ट तंत्र और माफिया के गठजोड़ के आगे खून के आंसू बहा रहा है भारत का किसान।